Maharashtra Assembly Election : हरियाणा में तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनने जा रही है। भाजपा ने दस साल की कथित सत्ता विरोधी लहर को बेअसर करते हुए जीत की हैट्रिक लगाई। अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बारी है। इसे लेकर एनडीए गठबंधन यानी महायुति ने हरियाणा की तर्ज पर बड़ा दांव चला है। महायुति के इस कदम से क्या एससी-ओबीसी वोटर दौड़े चले आएंगे? आइए जानते हैं सबकुछ।
महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने केंद्र सरकार से ‘गैर-क्रीमी लेयर’ श्रेणी के लिए आय सीमा को मौजूदा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की अपील करने का फैसला किया। यह फैसला आगामी विधानसभा चुनाव से पहले लिया गया है, जो अगले महीने होने की संभावना है। आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव से महीनों पहले सीएम नायब सिंह सैनी ने भी इसी तरह का कदम उठाया था और क्रीमी लेयर के लिए वार्षिक आय सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया था।
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जानें चुनाव विशेषज्ञों का क्या है कहना?
महायुति के इस दांव को लेकर चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को एससी और ओबीसी वोट हासिल करने में यह कदम महत्वपूर्ण साबित हुआ, जिससे पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, महायुति कैबिनेट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को भी मंजूरी दी, जिसे अगले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। इस आयोग में 27 स्वीकृत पद होंगे।
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महायुति के इस कदम से मिलेगा रिजर्वेशन का लाभ
ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ पाने के लिए एक गैर-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है, जिसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है। आय सीमा बढ़ाने से ओबीसी समुदाय के ज्यादा से ज्यादा लोग रिजर्वेशन लाभ और सरकारी योजनाओं के लिए पात्र हो सकते हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में महायुति के इस कदम से ओबीसी वोटर वापस आ सकते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने संकेत दिया है कि इस बदलाव को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के साथ चर्चा तेजी से होगी।