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महाराष्ट्र के इस अस्पताल में रोज हो रही 2 बच्चों की मौत, 3 महीने में 179 जानें गईं; CMO ने खुद बताई वजह

Maharashtra Nandurbar Civil Hospital Childrens Death: महाराष्ट्र के नंदुरबार सिविल अस्पताल में शिशु मृत्यु दर ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दीं हैं। एक औसत के मुताबिक, यहां पिछले 3 महीनों में रोजाना 2 नवजात शिशुओं ने अपनी जान गंवाई हैं। नंदुरबार के CMO एम. सावन कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Sep 17, 2023 13:14
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Maharashtra Nandurbar Civil Hospital
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Maharashtra Nandurbar Civil Hospital Childrens Death: महाराष्ट्र के नंदुरबार सिविल अस्पताल में शिशु मृत्यु दर ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दीं हैं। एक औसत के मुताबिक, यहां पिछले 3 महीनों में रोजाना 2 नवजात शिशुओं ने अपनी जान गंवाई हैं। नंदुरबार के CMO एम. सावन कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि नंदुरबार के सिविल अस्पताल में पिछले 3 महीनों में 179 बच्चों की मौत हुई है। बच्चों की मौत के पीछे कई कारण हैं, जिनमें जन्म के समय दम घुटना, कम वजन, सेप्सिस और सांस संबंधी बीमारियां शामिल हैं।

सबसे ज्यादा मौत जन्म लेने के 28 दिन के अंदर

बच्चों की मौत होने के पीछे सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि 70 प्रतिशत मौत 0-28 दिन की आयु में हुई हैं। CMO एम. सावन कुमार की मानें तो 20 प्रतिशत मौत समय से उपचार नहीं मिलने के कारण होती हैं। इनमें घरों में होने वाले प्रसव भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नंदुरबार जिले में कुपोषण दर सबसे अधिक है। समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, प्रसव के दौरान सेप्सिस और निमोनिया होना भी बड़ा कारण है। आंकड़ों पर गौर करें तो अस्पताल में जुलाई महीने में 75 बच्चों की मौत हुई है, जो अगस्त में बढ़कर 86 हो गई। सितंबर में अब तक 18 मौत हुई हैं।

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विधायक ने सुविधाओं पर उठाए सवाल

स्थानीय विधायक अमशा पाडवी ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते बच्चों की मौत हो रही है। अस्पताल में अपर्याप्त सुविधाएं गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के जीवन को खतरे में डाल रहीं हैं। उन्होंने सवाल किया कि अस्पताल में संसाधनों की कमी और स्टाफ की कमी के लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाना चाहिए?

सरकार के दावों की पोल खुली

एक ओर जिला परिषद बढ़ती शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है, लेकिन पिछले ढाई महीने में इतने शिशुओं की मौत ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है। जिले में कुपोषण से शिशु मृत्यु दर लगातार बढ़ रही है। सरकार हर साल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन तीन महीने में 179 बच्चे मारे जाते हैं तो क्या यह योजनाएं सुदूर आदिवासी इलाकों तक पहुंचती हैं और क्या यहां व्यवस्थाएं हैं?

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मिशन ‘लक्ष्य 84 दिन’

CMO एम. सावन कुमार ने बताया कि उन्होंने बच्चों की हो रही मौत को रोकने के लिए मिशन ‘लक्ष्य 84 दिन’ शुरू किया है। इस मिशन का उद्देश्य शिशु मृत्यु दर के मुख्य कारणों से निपटना, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और समय पर उपचार उपलब्ध कराना शामिल है, जिससे शिशुओं के जीवन को बचाया जा सके।

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News24 हिंदी

First published on: Sep 17, 2023 12:59 PM
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