Maharashtra liquor shop AI Camera Installation: महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने स्टेट एक्साइज डिपार्टमेंट की उस पायलट परियोजना पर रोक लगाने का फैसला लिया है, जिसके तहत शराब की दुकानों और बार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस हाई-रिजॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे। बता दें कि इस पहल का उद्देश्य नाबालिगों द्वारा शराब पीने की घटनाओं को रोकना और कस्टमर्स की उम्र का आकलन करना था। आइए जानते हैं कि सरकार ने ये फैसला क्यों लिया।
क्या था पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि AI-आधारित इन कैमरों को लगाने का फैसला शिवसेना के पूर्व उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई के कार्यकाल के दौरान लिया गया था। इस योजना की शुरुआत पुणे और मुंबई में दो बड़े सड़क हादसों के बाद हुई थी, जिनमें नाबालिगों द्वारा शराब पीने के बाद गाड़ी चलाने से दुखद दुर्घटनाएं हुईं।
पहली घटना पुणे में हुई, जहां एक 17 वर्षीय लड़के ने पोर्शे कार चलाते हुए दो बाइक सवार सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को टक्कर मार दी। दूसरी घटना मुंबई के वर्ली में हुई, जहां एक शिवसेना नेता के बेटे ने शराब के नशे में दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी, जिससे व्यक्ति की मौत हो गई।
इन घटनाओं के बाद सरकार ने AI-लैस कैमरों का इस्तेमाल कर शराब की दुकानों और बार में कस्टमर्स की पहचान करने और उनकी उम्र की पुष्टि करने की योजना बनाई। इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत मुंबई से की जानी थी और इसकी सफलता के आधार पर इसे पूरे राज्य में लागू करने का लक्ष्य बनाया गया था।
क्यों लगाया गया प्रोजेक्ट पर रोक?
बता दें कि सरकार ने फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लागू करने में कई चुनौतियां सामने आईं, जिनमें खासतौर पर लॉजिस्टिकल और फाइनेंशियल समस्याएं शामिल हैं।
शराब की दुकानों और बार में AI कैमरे लगाना और इनका सही तरीके से मैनेजमेंट करना एक बड़ा काम है। इसके अलावा, कैमरों को इंस्टॉल करने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी सपोर्ट उपलब्ध कराना एक चुनौतीपूर्ण काम है। इन हाई-टेक कैमरों को लगाने और उन्हें मैनेज करने में बहुत से पैसे लगते हैं। ऐसे में सरकार की प्राथमिकताएं फिलहाल अन्य क्षेत्रों में हैं, जहां पैसे की ज्यादा जरूरत है।
हालांकि, सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया है, लेकिन उसने यह स्पष्ट किया है कि वह नाबालिगों द्वारा शराब के सेवन और इससे संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए काम कर रही है। स्टेट एक्साइज डिपार्टमेंट दूसरे ऑप्शन्स पर काम कर रहा है, जिससे इन घटनाओं को कंट्रोल में लाया जा सके। फिलहाल सरकार का कहना है कि अगर इस प्रोजेक्ट के लिए टेक्निकल और फाइनेंशियल समस्याओं का समाधान हो पाता है, तो इसे भविष्य में फिर से लागू किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें – 88 मौतों का कारण बनीं मुंबई की लाल बसें, खौफनाक रिकॉर्ड आया सामने