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Lok Sabha Election 2024: सर्वाधिक राजनीतिक उलटफेर वाले महाराष्ट्र पर क्यों देशभर की नजरें?

Lok Sabha Election 2024 Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में देशभर की नजरें महाराष्ट्र पर रहेंगी। यहां शिवसेना, NCP, कांग्रेस में मुख्य मुकाबला है और भाजपा का टारगेट इस बार महाराष्ट्र को जीतना है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि जनता किसे समर्थन देती है- उद्धव गुट, शरद पवार गुट या कांग्रेस गुट तो देखिए समीकरण क्या कहते हैं?

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Feb 20, 2024 16:33
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Lok sabha Election 2024 Maharashtra Mahayuti Alliance
Lok sabha Election 2024 Maharashtra Mahayuti Alliance

दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार

Lok Sabha Election 2024 Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में महराष्ट्र पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, क्योंकि बीते 5 साल में जितना राजनीतिक उलटफेर इस राज्य में हुआ है, उतना किसी और जगह देखने को नहीं मिला है। साल 2019 में भाजपा के साथ लड़ी शिवसेना अब दोफाड़ हो चुकी है। विद्रोही शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने असली शिवसेना का दर्जा दे दिया है।

यही हाल NCP का है, जहां इस दल के विद्रोही अजित पवार को असली NCP का दर्ज मिल चुका है। इस तरह शिवसेना के संस्थापक बाल साहब ठाकरे के पुत्र उद्धव और NCP के संस्थापक शरद पवार दूसरी पार्टी और निशान पर अगला चुनाव लड़ने वाले हैं। NCP और शिवसेना के विद्रोही गुट राज्य सरकार में भागीदार हैं और किंग मेकर की भूमिका में भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता हैं।

 

राज्य में मोदी नहीं, कोई और फैक्टर काम करेगा

महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं। पिछले चुनाव में भाजपा-शिवसेना ने एक साथ चुनाव लड़ा और विरोधी दलों को इकाई में समेट दिया। दोनों दलों ने मिलाकर 39 सीटों पर विजय हासिल की थी। ऐसे में भले ही देश के बड़े हिस्से में मोदी फैक्टर काम करेगा, लेकिन लोगों को शक है कि यहां वह खास फैक्टर बहुत तेज काम करेगा। कारण यह है कि जब से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से हटे हैं और उनकी ही पार्टी के नेता एकनाथ शिंदे ने विद्रोह करके भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली है, तब से शिवसेना उद्धव के पक्ष में एक अलग ही भावना बह रही है।

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टकराव के बावजूद दोनों गुट चुनाव मैदान में डटेंगे

आम जनता और शिव सैनिकों ने मान लिया है कि चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष, दोनों ने ही उनके दल के साथ अन्याय किया है। कुछ ऐसी ही स्थिति शरद पवार की है। उनके द्वारा स्थापित दल NCP में भी ठीक वैसा ही हुआ, जैसा उद्धव ठाकरे के साथ हुआ। यहां उनके अपने भतीजे अजीत पवार भाजपा सरकार में डिप्टी CM हैं और उनके कई समर्थक विधायक मंत्री हैं। आयोग ने यहां भी शरद पवार के खिलाफ फैसला दिया। इन सभी बदलावों के बीच शिवसेना उद्धव ठाकरे, NCP शरद पवार और कांग्रेस एक साथ चुनाव मैदान में आने वाले हैं।

 

NDA को महाराष्ट्र में तगड़ा झटका लग सकता

बेशक INDIA गठबंधन की हवा देशभर में खराब हो, लेकिन महाराष्ट्र में स्थिति उलट है। यहां शिवसेना उद्धव और NCP शरद पवार की भूमिका अलग ही दिखाई दे रही है। कारण यह है कि दोनों दल अपने-अपने प्रभाव वाले इलाके में जनता के बीच यह स्थापित करने के प्रयास में काफी हद तक कामयाब होते हुए दिखाई दे रहे हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है। इसलिए जनता अपनी वोटों के सहारे धोखेबाजों को सजा दे। अगर वाकई ऐसा हुआ तो भाजपा या यूं कहें कि NDA को महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में तगड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि NCP और शिवसेना में तोड़-फोड़ के पीछे भारतीय जनता पार्टी मुख्य भूमिका में है, यह बात किसी से छिपी नहीं है।

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जनता NDA या INDIA चुनेगी, यह वक्त बताएगा

वरिष्ठ पत्रकार विजय सिंह कहते हैं कि देश के चुनाव से इतर यहां के हालत हैं। मूल रूप से शिवसेना के कार्यकर्ता और शरद पवार के समर्थक भाजपा को खलनायक के रूप में देख रहे हैं। उनके सामने अब जो भी चुनाव आएगा, वे सजा देने का पूरा प्रयास करेंगे। यही कारण हैं कि इस तोड़-फोड़ के बीच सरकार होने के बावजूद उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। वे कहते हैं कि आज भी शिवसेना मतलब ठाकरे परिवार। सारी निष्ठा मातोश्री के प्रति ही है।

कार्यकर्ताओं की भावनाएं उद्धव ठाकरे के साथ जुड़ी हैं। शिंदे बेशक मुश्यमंत्री हैं, लेकिन आज भी शिवसेना नेता के रूप में उनकी वह स्वीकार्यता नहीं है, जो उद्धव की है। भले ही आयोग ने उन्हें असली शिवसेना मान लिया है, लेकिन अब यह देखना रोचक होगा कि महाराष्ट्र की जनता लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन के साथ जाती है या शरद-उद्धव-कांग्रेस के साथ। माना जा रहा है कि जनता उनके नेताओं की पार्टियों को खंड-खंड करने वालों को अपने वोट से सजा देगी।

 

महाराष्ट्र में सम्मानजनक सीटें जीतना भाजपा की चुनौती

उधर, तीनों विपक्षी स्तम्भ उद्धव-शरद पवार-कांग्रेस जनता के बीच पीड़ित के रूप में जा रहे हैं। पहले भाजपा ने इनकी सरकार गिरा दी। फिर शिवसेना और NCP में तोड़-फोड़ कर सरकार में शामिल कर दिया। इसके लिए कुर्बानी भी दी। विपक्ष यह साबित कर रहा है कि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा नेता डिप्टी CM बने बैठे हैं। यह केवल और केवल महाराष्ट्र को कमजोर करने की साजिश है। इसी गुणा-गणित को लेकर विपक्ष के तीनों दल सीटों के बंटवारे पर लगभग सहमत हो चुके हैं। इसमें केवल जीत को आधार बनाकर सीटें दी गई गईं। इसमें 18-20 सीटें शिवसेना उद्धव, 20-22 सीटें कांग्रेस और बची हुई सीटें शरद पवार की NCP को जा रही हैं।

उधर NDA गठबंधन के सामने यूं तो कोई चुनौती नहीं है, लेकिन सीट शेयरिंग में शिंदे गुट और अजित पवार गुट को भी सम्मानजनक सीटें चाहिए। भारतीय जनता पार्टी इनकी इसलिए भी सुनेगी, क्योंकि साल 2024 में ही यहां विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में 23 सीटें जीतने वाली भाजपा के सामने लाख टके का सवाल यह है कि वह शिंदे और अजित पवार के दल को कितनी सीटें देगी? यह देखना रोचक होगा।

First published on: Feb 20, 2024 04:22 PM

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