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क्या है एल्गार परिषद केस, जिसमें बॉम्बे High Court ने गौतम नवलखा को दी जमानत

Elgar Parishad Case : महाराष्ट्र की बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2017 के एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Dec 19, 2023 17:54
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मुंबई: महाराष्ट्र की एल्गार परिषद का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। अब से 6 साल पहले इस परिषद के एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी है। हालांकि इससे पहले माओवादियों से संबंध के मामले में एक स्पेशल कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। अब हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया। इसी के साथ जानने वाली बात यह है कि एल्गार परिषद में दिया गया वो कौन सा भाषण था, जिसे काेरेगांव हिंसा के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

एल्गार परिषद के मायने

सबसे पहले बात आती है कि ये एल्गार परिषद आखिर है क्या? असल में यह एक तरह की सभा है, जिसमें अतीत में न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े रहे लोग यानि रिटायर्ड जज, पुलिस के अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और बहुत से दलित चिंतक एक मंच पर इकट्ठा होकर चिंतन-मनन करते हैं। साधारण भाषा में बात की जाए तो य दलित अत्याचार के खिलाफ अभियान का एक हिस्सा है। 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के एक सम्मेलन के बाद कोरेगांव हिंसा भड़क गई थी।

सम्मेलन के अगले दिन भड़क गई थी भीमा कोरेगांव में हिंसा

जहां तक एल्गार परिषद पर अंगुली उठने की वजह की बात है, इसके 2017 के आयोजन के अगले दिन यानि 1 जनवरी 2018 को ही भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस की तरफ से दावा किया गया कि इस हिंसा के पीछे एल्गार परिषद में दिए गए लोगों के भाषण जिम्मेदार थे। इस मामले में पुलिस ने कई दिन की जद्दोजहद के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों समेत बहुत से लोगों को गिरफ्तार भी किया। इसी के साथ इस सभा का आयोजन करने वाले लोगों के प्रतिबंधित संगठनों के साथ कनेक्शन की बात भी उभरकर आई।

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अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था गौतम नवलखा

इन्हीं में से एक नाम है सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा का। अगस्त 2018 में प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के साथ संबंध होने के दावे के साथ गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया। स्वास्थ्य कारणों के चलते बहुत दिनों तक गौतम नवलखा घर में ही नजरबंद भी रहा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए राहत के उद्देश्य से स्थानीय कोर्ट से छह हफ्ते का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने तीन हफ्ते दिए। नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को नवीं मुंबई में नजरबंद करने की परमिशन दी थी।

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1 लाख के मुचलके पर मिली जमानत

बता देना जरूरी है कि माओवादी संगठन से ताल्लुक होने के चलते विशेष अदालत ने नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। एनआईए की विशेष अदालत में नियमित जमानत याचिका खारिज होने के बाद नवलखा हाईकोर्ट पहुंच गया। न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के अनुसार मंगलवार को इस मामले की सुनवाई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को 1 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी है।

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Written By

Balraj Singh

First published on: Dec 19, 2023 04:40 PM

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