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Explainer: क्या थी अनजाने में हुई मर्डर की वो घटना, जिसके लिए चार जाने-माने क्रांतिकारियों को दी फांसी

Kakori Train Action-The Unintentional Murder : आज से 98 साल पहले देश में मर्डर की एक ऐसी घटना घटी थी, जो अनजाने में हुई थी और इसकी कीमत चार महान क्रांतिकारियों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Dec 19, 2023 16:13
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आज 19 दिसंबर है। ये वो खास दिन है, जिस दिन देश के चार महान क्रांतिकारियों राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खान को फांसी की सजा दी गई थी। खास बात यह है कि यह सजा जिस गुनाह के एवज में दी गई थी, वह अनजाने में हुआ था। आज आजाद आब-ओ-हवा में सांस ले रही देश की युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है कि भारत माता की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए प्रयासरत इन क्रांतिकारियों से ऐसा कौन सा गुनाह हुआ था, जिसके लिए इन्हें फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया गया। जानें क्या था काकोरी ट्रेन एक्शन…

बता दें कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में काकोरी ट्रेन एक्शन बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका मकसद ब्रिटिश प्रशासन से बलपूर्वक धन लेना और भारतीयों की नजर में स्वतंत्रता सेनानी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की छवि को बढ़ाना था। यह एक क्रांतिकारी संगठन था और बाद में इसे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के नाम से जाना गया। इस संगठन को लोगों के दिल में बसाने के लिए शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह का अमूल्य योगदान रहा।

खैर अब आते हैं काकोरी ट्रेन एक्शन पर, जिसकी सजात्मक कार्रवाई ने हमारे तीन क्रांतिकारियों को छीन लिया। दरअसल, 9 अगस्त 1925 की है, जब अशफाक उल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा क्रांतिकारी संगठन के लिए धन जुटाने के मकसद से बनाई गई योजना के अनुसार उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पड़ते काकोरी में शाहजहांपुर से लखनऊ के लिए निकली ट्रेन को क्रांतिकारियों ने लूट लिया।

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क्रांतिकारियों की गोली से गई थी एक बेकसूर की जान

इस ट्रेन के जरिये भारतीयों से वसूले गए कर को ब्रिटिश सरकार के खजाने में भेजा जा रहा था। राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, चन्द्रशेखर आजाद, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, शचींद्र बख्शी, मुरारी लाल गुप्ता, मन्मथनाथ गुप्ता, बनवारी लाल और मुकुंदी लाल गुप्ता द्वारा क्रियान्वयित किए गए इस प्रयास के दौरान गार्ड केबिन को निशाना बना रुपयों से भरा बैग लूटा गया था। इस दौरान जब क्रांतिकारियों और गार्डों के बीच गोलीबारी हुई तो क्रांतिकारियों की गोली से अनजाने में एक यात्री मारा गया।

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इसलिए अहमियत रखती 19 दिसंबर की तारीख

लगभग 40 स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार करने के बाद 21 मई 1926 को अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा मानव वध के आरोप में मुकदमा चलाया गया। 15 लोगों को सबूतों की कमी के चलते अदालत ने छोड़ दिया, लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और अशफाकउल्ला खान को मौत की सजा सुनाई। इसके बाद 17 दिसंबर 1927 को राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को तो ठीक दो दिन बाद 19 दिसंबर को राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खान को भी फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।

First published on: Dec 19, 2023 04:11 PM

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