Madhya Pradesh Tansen Festival 2024: मध्य प्रदेश में इस साल 100वां तानसेन समारोह मनाया जा रहा है। समारोह के 100 साल पूरे होने पर इस बार तानसेन समारोह के मुख्य मंच की थीम महेश्वर के किले पर रखा गया है। इसकी खूबसूरती को बढ़ाने और उसकी भव्यता को दर्शाने के लिए 5D लुक में 40 बाय 80 का शानदार स्टेज तैयार किया गया है। लेकिन आप जानते हैं कि जिसके नाम पर यह समारोह आयोजित किया जा रहा है, वो तानसेन कौन थे? उन्होंने ऐसा क्या किया कि जो आज उन्हें याद करते हुए इतने भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है? चलिए आपको बताते हैं कि तानसेन कौन थे और उन्होंने कौन-सा काम किया है!
कौन थे संगीत सम्राट तानसेन?
तानसेन हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार थे, जिन्हें संगीत सम्राट कहा जाता है। वह बादशाह अकबर के 9 रत्नों में से एक थे। उनका संगीत सुनकर अकबर ने उन्हें ‘मियां तानसेन’ के नाम से नवाजा था। उनका असली नाम रामतनु था। लगभग 1493 में उनका जन्म ग्वालियर के एक हिंदू गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्हें संगीतकार के रूप में पहला मौका ग्वालियर के राजा मान सिंह तोमर के दरबार में मिला था। इसके बाद वह अकबर के दरबार में गाने लगे। कहा जाता है कि तानसेन के सुर में इतनी ताकत थी कि वह बारिश तक करवा देते थे। एक लोकप्रिय कहानी के अनुसार, उन्होंने एक बार अपने संगीत से बिना हाथ लगाए दीप जलाए थे। इसके अलावा, तानसेन को उनकी महाकाव्य ध्रुपद रचनाओं और कई नए रागों की रचना के लिए याद किया जाता है। उन्होंने उस जमाने में संगीत पर दो क्लासिक किताबें, श्री गणेश स्तोत्र और संगीता सार, लिखी हैं। उनका निधन 26 अप्रैल 1589 को बताया जाता है।
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100वें तानसेन समारोह की तैयारियां
उन्हीं संगीत सम्राट तानसेन की याद में 14 दिसंबर को गमक के साथ तानसेन समारोह के 100वें कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है। हर साल तानसेन समारोह के दौरान मुख्य मंच को राज्य की कला संस्कृति के आधार पर तैयार कराया जाता है। मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग ने इस बार ग्वालियर के हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर होने वाले 100वें तानसेन समारोह में महेश्वर किले की थीम पर भव्य मंच तैयार करने का फैसला किया है।
650 दुर्लभ वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी
जिला प्रशासन के मुताबिक, 15 दिसंबर को समारोह का मुख्य कार्यक्रम तानसेन समाधि स्थल पर आयोजित होगा। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शामिल हो सकते हैं। यह कार्यक्रम 19 दिसंबर तक ग्वालियर में आयोजित होगा। इस समारोह में 150 भारतीय और 10 विदेशी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही करीब 650 दुर्लभ वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी भी की जाएगी।