MP Assembly Elections 2023 Sidhi Peshab Kand Kol Community Tribe: मध्यप्रदेश पेशाब कांड के पीड़ित के सामने नई चुनौती आ गई है। पीड़ित का कहना है कि मुझे सुरक्षा के लिहाज से पुलिस ने सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराया था। घटना के बाद से मैं जहां भी जाता हूं, लोग कहते हैं कि आप तो सुरक्षा गार्ड के साथ घूमते हैं, आपको नौकरी की क्या जरूरत है? दरअसल, सीधी जिले के कुबरी गांव के रहने वाले कोल आदिवासी दसमथ रावत के साथ एक घटना हुई थी। घटना का वीडियो जुलाई में सामने आया था।
दरअसल, सीधी से भाजपा के विधायक केदारनाथ शुक्ला के प्रतिनिधि प्रवीण शुक्ला का नशे में धुत होकर दसमथ रावत पर पेशाब करने का दो साल पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो के वायरल होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर हो गई थी। आरोपी प्रवीण शुक्ला के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही हाल ही में जब भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की तो केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया गया।
वीडियो सामने आने के बाद क्या हुआ था?
पेशाब कांड का वीडियो सामने आने के बाद मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने दसमथ रावत को पक्का मकान बनाने के लिए धनराशि दी थी। हालांकि, दो साल पहले हुई घटना का ‘जिन्न’ दसमथ का पीछा नहीं छोड़ रहा है। वीडियो सामने आने के बाद से स्थानीय खेत के मालिक उसे काम पर रखने के इच्छुक नहीं हैं, जिसके चलते रावत के 15 वर्षीय बेटे को घर चलाने के लिए छोटी-मोटी नौकरी करनी पड़ रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दसमथ रावत अपने घर में बैठे थे। उनके साथ एक पुलिस कांस्टेबल भी था। जब दसमथ रावत से रोजगार के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने पुलिस कांस्टेबल की ओर इशारा करते हुए दर्दभरी आवाज में कहा कि सुरक्षा गार्ड के साथ एक मजदूर को कौन नियुक्त करेगा?
सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने तैनात किया है सुरक्षागार्ड
दरअसल, पेशाब कांड का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पर केदारनाथ शुक्ला के समर्थकों की ओर से उन पर हमला किए जाने की आशंका के चलते पुलिस ने उन्हें गार्ड उपलब्ध कराया गया था। उन्होंने अपने घर से कुछ मीटर की दूरी पर खेत की ओर इशारा करते हुए दसमथ ने बताया कि ये जमीन ही मेरी आय का एकमात्र स्रोत है, लेकिन इस घटना के बाद, कोई भी मुझे रोजगार नहीं देना चाहता।
बता दें कि वीडियो के वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दसमथ रावत को भोपाल में अपने आवास पर बुलाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने रावत के पैर धोए थे और अपनी पार्टी के सदस्य की ओर से आदिवासी समुदाय के रावत को चोट पहुंचाने के लिए माफी मांगी थी। उस वक्त रावत ने दावा किया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया है। फिलहाल, मैं सरकार की ओर से किसी चिट्ठी का इंतजार कर रहा हूं।
कलेक्टर बोले- मैं मामले को देखूंगा
कोल आदिवासी समुदाय के दसमथ रावत के दावे के बारे में संपर्क करने पर सीधी के जिला कलेक्टर साकेत मालवीय ने कहा कि मैं इस मामले को देखूंगा। दशमथ रावत के पड़ोसी बांकेलाल रावत ने कहा कि हमारा समुदाय पहले जंगलों में रहता था। हमें जबरन जंगलों से हटाया गया। अब हम जिन गांवों में रहते हैं, वहां ऊंची जातियों के लोग हमसे भेदभाव करते हैं। पेशाब कांड के बाद ऊंची जातियां बाहर से आए मजदूरों को तरजीह दे रही हैं। बांकेलाल ने कहा कि हम सभी घटना के परिणाम भुगत रहे हैं।
बता दें कि कोल आदिवासी समुदाय रामायण की पात्र ‘माता शबरी’ को देवी मानता है। शबरी माता ने भगवान राम के 14 साल के बनवास के दौरान उन्हें अपने जूठे बेर खिलाए थे। इसे देखते हुए सत्तारूढ़ भाजपा ने विंध्य क्षेत्र में प्रमुख आदिवासी कोल समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने क्षेत्र में फरवरी और जून में दो विशाल रैलियां आयोजित कीं और माता शबरी को समर्पित एक विशाल मंदिर बनाने का वादा किया।
फरवरी में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां रैली की थी तो उन्होंने कांग्रेस की ओर से समुदाय के साथ किए गए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए भाजपा सरकार की रूपरेखा का जिक्र किया था। इसके बाद जून में, मुख्यमंत्री चौहान ने रीवा में त्योंथर तहसील के तत्कालीन कोल जनजाति शासकों से जुड़े कोल गढ़ी किले के नवीनीकरण की आधारशिला रखी और 3,000 कोल आदिवासी सदस्यों को उनके घरों के निर्माण के लिए भूमि अधिकार आवंटित किए।
15 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखता है आदिवासी कोल समुदाय
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 11 लाख की आबादी वाला कोल समुदाय विंध्य क्षेत्र की 15 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखता है। 2018 में भाजपा ने इनमें से 12 सीटें जीतीं और कांग्रेस ने सिर्फ तीन सीटें जीतीं। विंध्य बेल्ट में, भाजपा ने प्रस्तावित 30 सीटों में से 24 सीटें जीतीं और कांग्रेस ने शेष छह सीटें जीतीं।
पेशाब कांड के बाद भाजपा के सामने अब विंध्य बेल्ट को बरकरार रखने की चुनौती है। कांग्रेस ने दावा किया है कि इस घटना ने बीजेपी का असली चेहरा दिखाया है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और स्थानीय विधायक कमलेश्वर पटेल और सीनियर नेता अजय सिंह ने आरोपी प्रवीण शुक्ला के घर को गिराने की मांग को लेकर दसमथ के घर पर 12 घंटे तक धरना दिया था और आखिरकार 5 जुलाई को आरोपी प्रवीण शुक्ला का घर गिरा दिया था।
कांग्रेस भी कोल आदिवासी समुदाय को लुभाने में जुटी
चुरहट विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय सिंह ने कहा कि इस घटना ने बीजेपी और उसके नेता की सोच को उजागर कर दिया है। उन्होंने आदिवासियों और दलितों के बारे में बहुत सारी बातें कीं लेकिन, भाजपा नेताओं ने उनके साथ केवल दसमथ की तरह व्यवहार किया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को कोल और अन्य आदिवासियों का कोई समर्थन नहीं मिलेगा क्योंकि लोगों को एहसास हुआ कि पार्टी के कथनी और करनी में काफी अंतर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने दसमथ रावत को पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए कहा था। हालांकि रावत ने किसी भी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने से इनकार कर दिया। बता दें कि कांग्रेस ने मवासी, कोल और कोरकू जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा देने और इन तीन जनजातियों के लिए एक विशेष आर्थिक कार्यक्रम का प्रस्ताव देने का वादा किया है।
उधर, सीधी से भाजपा उम्मीदवार, मौजूदा सांसद रीति पाठक ने कोल आदिवासियों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि हम उन्हें उनके अधिकार देने और उनके उत्थान के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने सत्ता में रहने के पिछले 20 वर्षों में समुदाय के लिए बहुत काम किया है।
केदारनाथ शुक्ला ने की भाजपा से बगावत, निर्दलीय ठोंक रहे ताल
वहीं, सीधी से तीन बार जीत चुके केदारनाथ शुक्ला ने पार्टी से बगावत कर दी है और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। केदारनाथ शुक्ला का कहना है कि मेरे और मेरे समुदाय के साथ अन्याय हुआ है। इस घटना से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मैं लोगों से न्याय पाने के लिए चुनाव लड़ूंगा। कहा जा रहा है कि ब्राह्मण समुदाय प्रवीण शुक्ला के घर को ध्वस्त करने के लिए समुदाय भाजपा से नाराज है।
आखिरकार कोल आदिवासी अपनी हालत के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?
सवाल ये है कि आखिर कोल आदिवासी अपने पिछड़ेपन के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं। जब ये सवाल उनसे पूछा गया तो उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों को दोषी बताया। दसमथ रावत के पड़ोसी बांकेलाल रावत ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने उनके समुदाय की उपेक्षा की है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने खोखले वादे किए हैं और हमारे जीवन को बदलने के लिए कुछ भी नहीं किया है। हमें उचित रोजगार और अच्छी शिक्षा की आवश्यकता है।