Madhya Pradesh Adi Shankaracharya Statue Inauguration: मध्य प्रदेश में आज ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ का लोकार्पण हुआ। 5 हजार साधु-संतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने प्रतिमा प्रदेश को समर्पित की। यहां अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान का नींव पत्थर भी रखा गया, जो 2026 तक बनेंगे।
नर्मदा किनारे मांधाता पहाड़ी पर बनी
खंडवा जिले में बनी इस प्रतिमा का नाम एकात्मता की प्रतिमा रखा गया है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा नर्मदा नदी के किनारे मांधाता पहाड़ी के ऊपर बनाई गई है। सरकार ने इसके लिए 2141.85 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था, जिसके तहत एक संग्रहालय और संस्थान भी बनाया गया है। बता दें कि 18 सितंबर को प्रतिमा का अनावरण किया जाना था, लेकिन बारिश की वजह से प्रोग्राम टाल दिया गया था।
मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची प्रतिमा
शिवराज सरकार की योजना इंदौर से करीब 80 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर को आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत दर्शन के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने की है। इसलिए नर्मदा नदी के तट पर बसी धार्मिक नगरी ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर बनी प्रतिमा का अनावरण विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले किया गया है। यह प्रदेश की सबसे ऊंची प्रतिमा है। आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और MPSTDC ने मिलकर इस प्रतिमा निर्माण करवाया है।
म्यूजियम और इंस्टीट्यूट भी बनेगा
प्रतिमा CP कुकरेजा आर्किटेक्ट्स ने डिजाइन की है। प्रतिमा के पास आदि शंकराचार्य से जुड़ा अद्वैत लोक संग्रहालय और अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण भी किया जाएगा। संग्रहालय पारंपरिक भारतीय मंदिर वास्तुकला का प्रतीक होगा। इसमें 3डी गैलरी बनेगी, जिसमें कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी। एक थिएटर भी बनेगा, जिसमें आने वाले टूरिस्टों को आदि शंकराचार्य के जीवन से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी। अद्वैत वेदांत के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए संस्थान बनेगा।
ओंकारेश्वर में 4 साल रहे थे आचार्य
खंडवा के कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने प्रतिमा लोकार्पण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि अनावरण समारोह में देशभर के साधु संतों ने हिस्सा लिया। धार्मिक अनुष्ठान हुए। लोगों ने भी कार्यक्रम को भव्य और सफल बनाने के लिए इसमें शिरकत की। बता दें कि केरल में जन्मे शंकराचार्य बालपन में संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर आए थे और यहां 4 साल रुके थे। इसलिए यह प्रदेश की विरासत है, जिसे समृद्ध बनाने के लबए 36 हेक्टेयर में अद्वैत वन भी बनाया गया है।