MP Politics: गुना से बीजेपी सांसद केपी यादव के केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर दिए बयान और फिर इमरती के केपी यादव पर पलटवार के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी में बवाल मचा हुआ है, यही वजह है कि अब संगठन डैमेज कंट्रोल में जुटा हुआ है। ग्वालियर में पार्टी की एक अहम बैठक हुई, जिसमें ग्वालियर चंबल संभाग के प्रभारी जीतू जिराती ने साफ तौर पर बीजेपी के नए पुराने नेताओं को तोलमोल कर बोलने की नसीहत दी है।
इस वजह से शुरू हुआ विवाद
मिशन-2023 की तैयारियों में जुटी बीजेपी में इन दिनों ग्वालियर-चंबल अंचल में बवाल के हालात बन गए हैं, गुना सांसद केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बयान देकर पार्टी की परेशानियां बढ़ा दी तो वही सिंधिया समर्थक इमरती देवी ने भी दावा कर दिया कि गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, केपी यादव को टिकट ही नहीं मिलेगा।
पार्टी में सब एकजुट
इन बयानों के बावजूद सिंधिया समर्थक उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने दावा किया कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है सारी पार्टी एक है। लेकिन इमरती देवी और केपी यादव के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर हुई बयानबाजी के बाद प्रदेश की सियासत गर्माती नजर आ रही है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
बीजेपी में मचे इस सियासी घमासान के बाद कांग्रेस ने भी भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधना शुरू कर दी है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष बालेंदु शुक्ला ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी आपसी कलह का फायदा आने वाले चुनावों में कांग्रेस को मिलेगा और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी।
बीजेपी के लिए जरूरी है ग्वालियर-चंबल
दरअसल, ग्वालियर चंबल अंचल को मध्य प्रदेश की सत्ता की चाबी कहा जाता है, यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस अंचल में जोर लगा रही है। 2018 में कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटें जीती थी, लेकिन उपचुनाव में हुए फेरबदल के बाद अब ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस के पास 34 में से 17-17 सीटें हैं और दोनों 50-50 की स्थिति में है।
यही वजह है कि अब भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां ग्वालियर चंबल अंचल में दबदबा कायम रखने के लिए अपने अंदर की गुटबाजी को कंट्रोल करने में लगी है लेकिन इस बार सबसे ज्यादा गुटबाजी बीजेपी के अंदर नजर आ रही है।