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भोपाल गैस त्रासदी: 1 किमी काफिला, 40 गाड़ियां और 1000 सुरक्षाकर्मी; 40 साल बाद फैक्ट्री से ऐसे निकाला गया कचरा

Bhopal Gas Tragedy : मध्य प्रदेश के भोपल में मौजूद यूनियन कार्बाइड प्लांट से रासायनिक कचरे को वहां से हटा दिया गया। इसके लिए करीब एक किमी का काफिला पांच जिलों से होकर गुजरा। एक हजार से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी।

Edited By : Avinash Tiwari | Updated: Jan 2, 2025 08:53
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Bhopal Gas Tragedy : 2 दिसम्बर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड प्लांट से हुए गैस रिसाव के बाद आज भी लोगों में दहशत है। इस दुर्घटना में 15,000 से अधिक लोग मारे गये तथा 600,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए। पूरा शहर गैस चेंबर में बदल गया था। आज भी पैदा होने वाले बच्चों पर इसका असर दिखाई देता है। दुर्घटना के 40 साल बाद जब इस कंपनी से कचरा निकाला गया तो लोगों की यादें फिर से ताजा हो गईं। इस कंपनी से 40 गाड़ियों का काफिला कचरा लेकर निकला तो सब देखते रह गये।

भोपाल गैस त्रासदी के चालीस साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने में रखे गए लगभग 337 मीट्रिक टन रासायनिक कचरे को निस्तारिक करने के लिए हटाना शुरू हुआ। जिला प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देखरेख में इस कचरे को हटाया जा रहा है। इसका निपटान पीथमपुर में किया जाएगा।

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कचरा लेकर निकला 40 गाड़ियों का कचरा 

TOI की रिपोर्ट के अनुसार, 40 वाहनों का काफिला इस कचरे को लेकर फैक्ट्री से बाहर निकला। यह काफिला करीब एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा था। इस काफिले में बारह ट्रक शामिल थे, जिन पर ये खतरनाक रासायनिक कचरा लदा हुआ था। इस काफिले को बिना रुके पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड तक पहुंचना था।

5 जिलों में हाई अलर्ट

इस रासायनिक कचरे को स्थानांतरित करने के लिए पांच जिलों के प्रशासन हाई अलर्ट पर रखा गया था। सुरक्षा के लिए करीब एक हजार जवानों की तैनाती की गई थी। जब फैक्ट्री से कचरा निकलने लगा तो 200 मीटर पहले से ही बैरिकेड लगाकर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई।

इस रासायनिक कचरे को लेकर लोगों में आज भी दहशत है। इसके आसपास ही नहीं बल्कि उस क्षेत्र में रहने से लोग डर रहे हैं, जहां इस कचरे का निस्तारण किया जाना है। एमपी गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा कि “337 मीट्रिक टन यूसीआईएल कचरे का तीन से नौ महीने के भीतर वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जाएगा। सभी सुरक्षा कारकों का ध्यान रखा गया है और पीथमपुर में निपटान संयंत्र के आसपास पर्यावरण, भूमि या लोगों को कोई खतरा नहीं है।

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बता दें कि इस जहरीले कचरे को खत्म करने की प्रक्रिया तब शुरू हुई जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने 3 दिसंबर को अधिकारियों को फटकार लगाते हुए पूछा था कि क्या आप किसी और त्रासदी का इंतजार कर रहे हैं? इसके साथ ही इस कचरे को खत्म करने और स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी।

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Jan 02, 2025 08:53 AM

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