Betul decide future of Madhya Pradesh : नवंबर के माह में देश के भीतर एमपी, राजस्थान समेत 5 राज्यों में चुनावों का ऐलान हो चुका है, जिसे लेकर अलग-अलग पार्टियों की ओर से चुनावी तैयारियों को जोर दिया जाने लगा है। इन सबके बीच एमपी की एक ऐसी विधानसभा है, जिसे लेकर माना जाता है कि इस विधानसभा में जो जीत कर आता है, उसी पार्टी की हुकूमत या यूं कहें कि उसी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनती है। आपको बता दें कि 1993 के बाद से मध्य प्रदेश की बैतूल विधानसभा के बारे में लोगों के बीच यह मिथक लगातार बना हुआ है। हालांकि, 1952 के बाद से केवल एक बार साल 1980 में लोगों के बीच बना ये मिथक टूटा था लेकिन उसके बाद से दोबारा यह मिथक आज भी कायम है।
1980 के बाद से लगातार दो बार नहीं जीता एक पार्टी का प्रत्याशी
बैतूल विधानसभा को लेकर सामने आए मिथक को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं लेकिन इन सबके बीच इसी विधानसभा को लेकर एक मिथक और है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जाता है कि साल 1980 के बाद से अभी तक मध्यप्रदेश की बैतूल विधानसभा में किसी भी एक पार्टी का प्रत्याशी लगातार दो बार चुनाव जीत कर यहां का प्रतिनिधि नहीं बन सका है।
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बैतूल विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
मध्यप्रदेश की बैतूल विधानसभा से जुड़े इस मिथक के राजनीतिक इतिहास को लेकर अगर बात करें तो साल 1977 में जनता पार्टी ने इस विधानसभा से चुनाव जीता और उसके बाद प्रदेश में भी जनता पार्टी की सरकार बनी। वहीं, साल 1990 में भाजपा के भगवत पटेल भी यहां से चुनाव जीते और उसके बाद प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार बनी। और आगे की बात करें तो इसके अलावा साल 1993 में कांग्रेस के डॉ. अशोक साबले इसी विधानसभा से विधायक चुने गए थे, जिसके बाद मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी। बताया जाता है कि तब से लेकर आज तक यह मिथक ऐसे ही बना हुआ है। वहीं, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के निलय विनोद डागा को यहां से जीत हांसिल हुई थी और बाद में मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आई थी।
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संविधान लागू होने के बाद से सिर्फ एक बार टूटा बैतूल से जुड़ा मिथक
बैतूल से जुड़े रहने के साथ साथ वहां की राजनीतिक हलचल को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक नवनीत गर्ग के अनुसार, भारत मं संविधान लागू होने के बाद बैतूल विधानसभा में पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था। जिसके साथ ही साल 1952 ,1957 और 1962 में लगातार तीन बार यहां से कांग्रेस को जीत मिली और उसके बाद प्रदेश में भी तीनों बार कांग्रेस की सरकार रही, जिसके चलते इस विधानसभा से जुड़ा मिथक बना रहा। इस तीन सालों के बाद साल 1972 में बैतूल विधानसभा से फिर कांग्रेस जीती और प्रदेश में फिर से सरकार बना ली। बताया जाता है कि 1980 ही एक ऐसा साल था जब बैतूल का मिथक टूटा और तब बैतूल से जनता पार्टी जीती थी लेकिन प्रदेश में सरकार भारतीय जनता पार्टी की बनी।
इस बार मध्यप्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस में होगी ऐतिहासिक
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपनी अच्छी समझ रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बार चुनावी इतिहास की सबसे जबरदस्त और ऐतिहासिक टक्कर होने वाली है और इसी के साथ ही एमपी की बैतूल विधानसभा को लेकर भी कोई अनुमान लगाना गलत साबित हो रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस की ओर से इस बार बैतूल विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक निलय डागा को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। इसके साथ ही बीजेपी ने पूर्व में सांसद रहे हेमंत खंडेलवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है।