Jharkhand: देश की कोयला राजधानी धनबाद में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के विरोध में यहां के लोगों ने चिपको आंदोलन का रास्ता चुना है। लोग अब पेड़ों की कटाई का खुलकर विरोध करने लगे हैं। माइनिंग के लिए बीसीसीएल की आउटसोर्स कंपनी जब पेड़ काटने पहुंची तो उन्हें पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति और स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इस वरोध की वजह से सैकड़ो पेड़ कटने से बच गए।
धनबाद के पुटकी थाना क्षेत्र स्थित गोपालीचौक के 13 नम्बर से 17 नंबर के बीच स्थित एक किलोमीटर तक फैले हरे भरे जंगल को काटने पहुंची बीसीसीएल की टीम का स्थानीय लोगों ने खुलकर विरोध किया। न सिर्फ सड़क पर उतर कर लोगों ने इसके खिलाफ नारेबाजी की, बल्कि दर्जनों महिलाओं एवं बच्चों ने जंगल में उतर कर पेड़ों से चिपक गए और बीसीसीएल प्रबंधन से पेड़ो को नहीं काटने की गुजारिश की। जिसके बाद आउटसोर्सिंग पैच चालू करने को लेकर यहां स्थित करीब 2000 पेड़ों को काटने के लिए पुटकी पहुंचे पीबी एरिया के गोपालीचक कोलियरी प्रबंधन को बेरंग लौटना पड़ा।
बीसीसीएल प्रबंधन ने प्रशासन को लिखा लेटर
इस संबंध में बीसीसीएल पीबी एरिया प्रबन्धक का कहना हैं कि जिला प्रशासन एवं वन विभाग को पत्र भेजा गया है। वन विभाग से पेड़ काटने का आदेश ले लिया गया है। सभी आवश्यक प्रक्रिया पूरी की गई हैं। देश को कोयले की जरूरत हैं। इसलिए यहां पर नापी के बाद पेड़ो की कटाई जरूरी है।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि धनबाद में प्रदूषण चरम पर है। ऐसे में पेड़ो की कटाई उचित नही है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए झारखंड उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका भी दायर किया गया है। उन्होंने कहा कि हजारों पेड़ का सवाल है। इसी वजह से स्थानीय लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन शुरू किया है।
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दिल्ली से भी ज्यादा धनबाद में प्रदूषण
बता दें कि धनबाद ने प्रदूषण के मामले में दिल्ली को भी पछाड़ दिया था। उस समय प्रदूषण स्तर एयर क्वालिटी इंडेक्स की सघनता 554 पार थी। पीएम-2.5 का स्तर 544.2 ओर पीएम-10 का स्तर 554.9 था, जो राष्टीय मानक 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर से पांच गुना अधिक थी। ऐसे में इस शहर के पेड़ों की कटाई के बारे में सोचना भी बेमानी होगी। कोयला निकालना हैं तो भूमिगत खदानों को विकसित करनी चाहिए।