Jharkhand Election 2024: झारखंड में हेमंत सोरेन के प्रस्तावक रहे मंडल मुर्मू को लेकर बवाल मचा हुआ है। दरअसल मंडल मुर्मू आदिवासी अस्मिता के बड़े पुरोधा और संताल हूल आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अमर शहीद सिदो कान्हू के वंशज हैं। 2024 के विधानसभा चुनाव में मंडल मुर्मू हेमंत सोरेन के प्रस्तावक बने थे। लेकिन हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए। मंडल मुर्मू के बीजेपी में शामिल होने के बाद ही उनका सिर काटने पर 50 लाख के इनाम को लेकर बवाल मचा है।
दरअसल इस पूरे मामले में एक व्हाट्स ऐप ग्रुप का मसला है। आरोप साहुल हांसदा नाम के एक युवा पर लगा है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार करके पूछताछ शुरू कर दी है। साहुल ने व्हाट्स ऐप पर एक ग्रुप बना रखा था। ये ग्रुप पुरानी मोटरसाइकिलों की खरीद-बिक्री के लिए बनाया गया था, जिसका नाम था सेल्स एंड सर्विस। इसी ग्रुप में साहुल हांसदा के पाकुड़ में रहने वाले एक मित्र ने मंडल मुर्मू के बीजेपी ज्वॉइन करने की खबर पोस्ट की। इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए साहुल हांसदा ने लिखा कि उसका सिर काटने वाले को 50 लाख देकर सम्मानित किया जाएगा। ये बात साहुल हांसदा ने पुलिस को बताई है और कहा है कि मंडल मुर्मू के बीजेपी में जाने को लेकर उसने आवेश में प्रतिक्रिया दी थी।
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कौन है साहुल हांसदा?
साहुल हांसदा झारखंड के दुमका का रहने वाला है और सोशियोलॉजी से ग्रेजुएट है। कोई रोजगार नहीं मिलने उसने सोशल मीडिया के जरिए पुरानी मोटरसाइकिल की खरीद बिक्री का काम करने लगा। साहुल के पिता जोसेफ हांसदा की मौत हो चुकी है, जबकि उसकी मां लिली सोरेन की कोरोना के समय मृत्यु हो गई। दुमका के एसपी पीतांबर सिंह खेरवार ने कहा कि मामला संज्ञान में आने के बाद साहुल हांसदा को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
कौन हैं मंडल मुर्मू
बता दें कि जेएमएम के गढ़ संताल परगना में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने मंडल मुर्मू को पार्टी में शामिल किया है। हालांकि पार्टी की कोशिश विधानसभा चुनावों के बाद संताल परगना में मंडल मुर्मू के नेतृत्व में घुसपैठ के खिलाफ आंदोलन चलाने की रणनीति है।
मंडल मुर्मू सिदो कान्हू के परपोते हैं और 2006 में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने उन्हें गोद लिया था। मंडल की स्कूली शिक्षा रांची के कैंबिज स्कूल में हुई। इसके बाद 2013-16 में उन्होंने सिल्ली पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। हालांकि नौकरी न मिलने पर उन्होंने खेती बारी शुरू कर दी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मंडल मुर्मू की दादी बिटिया हेम्ब्रम 70 वर्ष की हैं। शहीद के छठे वंशजों में चुंडा मुर्मू, लीला मुर्मू, भादो मुर्मू और बेटाशन मुर्मू हैं। परिवार के पास करीब 30 बीघा जमीन है। हूल के महानायक सिदो कान्हू मुर्मू के वंशजों में अभी कुल 87 सदस्य हैं। परिवार के ज्यादातर सदस्य खेती बाड़ी करके गुजारा करते हैं।
बता दें कि सिदो मुर्मू और कान्हो मुर्मू के कुल छह भाई बहन थे। उनमें चार भाई और दो बहनें थीं। भाइयों में सिदो, कान्हो, चांद और भैरव थे। वहीं दो बहनें फूलो और झानो थीं। इसी परिवार ने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की लड़ाई से दो साल पहले 1855 में संताल हूल विद्रोह किया था। सिदो कान्हू की अगुवाई में 32 समुदाय के लोग अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े हुए थे और साहिबगंज के पास राजमहल की पहाड़ियों पर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। हालांकि 1856 की शुरुआत में अंग्रेजों ने इस विद्रोह को कुचल दिया था।