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सत्ता की दहलीज पर पहुंचने के बाद भी मिट गया वजूद, इतिहास में दर्ज हो चुका इन पार्टियों का नाम

Haryana Assembly Elections 2024: एक नवंबर 1966 को गठित हुए हरियाणा में अब तक कई पार्टियां बनीं। वे सत्ता के शिखर तक पहुंचीं, लेकिन अब उनका नाम इतिहास में दर्ज हो चुका है। उन पार्टियों का वजूद खत्म हो चुका है। हरियाणा में मौजूदा समय में भी कुछ पार्टियां हैं, जिनके अस्तित्व पर संकट है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Sep 2, 2024 15:46
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Haryana Assembly Elections 2024

Haryana Assembly Elections: हरियाणा बनने के बाद कई पार्टियां बनीं। सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बाद आज इनका वजूद मिट चुका है। पूर्व सीएम राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी (VHP), चौधरी भजनलाल की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस (HJC) आज इतिहास के पन्नों में सिमट चुकी हैं। कुछ ऐसा ही हाल बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी (HVP) के साथ हुआ।

पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल की इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के भविष्य पर भी सवाल है। अगर विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो क्षेत्रीय दल की मान्यता समाप्त होने के साथ चुनाव चिह्न भी छिन जाएगा। इनेलो से निकली जननायक जनता पार्टी (JJP) का हाल भी अलग नहीं है। पार्टी के 7 विधायक किनारा कर चुके हैं। सिर्फ तीन ही बचे हैं। कभी सत्ता की धुरी रहे चार दिग्गजों ने पहले कांग्रेस में अपनी ताकत बढ़ाई, फिर परिस्थितियों के मुताबिक जाकर बीजेपी का दामन थाम लिया।

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बेटी के लिए जोर लगा रहे इंद्रजीत

राव बीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत 2014 तक कांग्रेस में रहे। बाद में बीजेपी में आ गए। तभी से वे केंद्र में राज्यमंत्री हैं। अब बेटी आरती राव के लिए अटेली विधानसभा से टिकट मांग रहे हैं। वहीं, हरियाणा में लंबे समय तक सीएम रहे भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई और विधायक पौत्र अब भाजपा में हैं। भव्य आदमपुर से विधायक हैं, फिर से टिकट के दावेदार भी। बंसीलाल परिवार की बहू किरण चौधरी बीजेपी में जाने के बाद राज्यसभा पहुंच चुकी हैं।

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उनकी बेटी श्रुति चौधरी तोशाम से टिकट की दावेदार हैं। देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वे हरियाणा में मौजूदा समय में बिजली मंत्री है। वहीं, देवीलाल परिवार के दूसरे सदस्य आदित्य देवीलाल बीजेपी में हैं। विशाल हरियाणा पार्टी राव बीरेंद्र सिंह ने 1968 में बनाई थी। 39 सीटों पर चुनाव लड़ा, 12 पर जीत हासिल की। 14.86 फीसदी वोट हासिल किए। बाद में 23 सितंबर 1978 को कांग्रेस आई में विलय कर दिया था।

इनेलो के ऊपर संकट के बादल

इनेलो के नेता 5 बार हरियाणा में सीएम बन चुके हैं। लेकिन इस बार आम चुनाव में उसे सिर्फ 1.74 फीसदी वोट मिले। अगर इस विधानसभा चुनाव में इनेलो ने 3 सीटें नहीं जीतीं तो उसकी मान्यता खत्म हो जाएगी। 1991 में बंसीलाल को कांग्रेस ने बाहर किया था। 1996 में उन्होंने नई हरियाणा विकास पार्टी बनाई। जो तुरंत हुए चुनाव में 33 सीटें जीतीं। भाजपा के साथ सरकार भी बनाई। लेकिन 1999 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई। बंसीलाल ने 2004 में इसका विलय कांग्रेस में कर दिया था।

कुलदीप नहीं संभाल पाए विधायकों को

2005 में कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाया था। जिससे नाराज होकर भजनलाल ने 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) नाम से नई पार्टी बना ली। 2009 के चुनाव में इस पार्टी ने 6 सीटें जीतीं। लेकिन कुलदीप बिश्नोई के 4 विधायक हुड्डा के साथ चले गए। 28 अप्रैल 2016 को फिर हजकां का कांग्रेस में विलय हो गया। पारिवारिक मतभेदों के चलते देवीलाल के पोते दुष्यंत चौटाला ने इनेलो से अलग होकर 2018 में जजपा का गठन किया था। पिछले चुनाव में इस पार्टी ने 10 सीटें जीतीं। लेकिन लोकसभा चुनाव में मात्र 0.87 फीसदी वोट ही मिले। पार्टी से 7 विधायक भी किनारा कर चुके हैं। इस पार्टी के भविष्य पर भी सवाल है।

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Written By

Parmod chaudhary

First published on: Sep 02, 2024 03:46 PM

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