गुजरात में पट्टे पर दी गई जमीन के मालिकाना हक को लेकर सरकार ने अहम फैसला लिया है। राजस्व विभाग ने 7 साल से 30 साल की अवधि के लिए ली गई भूमि को स्थायी करने का निर्णय लिया है। इसे जंत्री के 15 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक संग्रह दर के साथ स्थायी बनाने का निर्णय लिया गया है। राजस्व विभाग ने इसे लेकर एक डिटेल्ड प्रस्ताव जारी किया।
सरकार ने पट्टे पर दी गई जमीन के स्वामित्व को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य के नगरीय सर्वेक्षण क्षेत्र में स्थायी आधार पर पट्टे की भूमि आवंटित की जाएगी। राजस्व विभाग ने पट्टे की जमीन के मुद्दे पर बड़ा फैसला लिया है, जिसमें 7 से 30 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर दी गई भूमि को स्थायी किया जाएगा। जंत्री की 15 से 60 प्रतिशत तक वसूली से स्थायी अधिकार मिल सकेंगे। इसके अलावा एससी, एसटी, ओबीसी को 20 फीसदी की छूट दी जाएगी। स्थायी अधिकारों की प्रक्रिया में स्टाम्प शुल्क नहीं लगाया जाएगा। योजना का लाभ लेने के लिए दो वर्ष की अवधि के भीतर आवेदन करना होगा। इसके लिए कुछ शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करना होगा।
क्या है मकसद?
इस संबंध में राजस्व विभाग द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि राजस्व विभाग के समेकित संकल्प संख्या (1) दिनांक 06/06/2003 के पैराग्राफ 18 और 19 में अहमदाबाद, सूरत और भरूच के शहर सर्वे क्षेत्रों में लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म पट्टे पर दी गई भूमि के पट्टों को निपटाने के प्रावधान किए गए हैं। लेकिन इन प्रावधानों की व्याख्या और कार्यान्वयन में कठिनाइयां थीं।
राजस्व विभाग के परिपत्र संख्या (2) दिनांक 01/11/2023 के तहत बंदोबस्त आयुक्त और निदेशक भू-अभिलेख की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य इस संकलन के कंडिका संख्या 18, 19 के प्रावधानों का विस्तृत अध्ययन कर संशोधन के लिए जरूरी सुझाव देना था। इस समिति ने प्रावधानों में सुधार के लिए विभिन्न पहलुओं का पूरी स्टडी तथा समुचित समीक्षा के बाद 01/01/2025 को सरकार को पूरी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के अनुसार, लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म के पट्टे पर दी गई सरकारी बंजर भूमि से संबंधित प्रावधानों में संशोधन का मामला सरकार के सामने सक्रिय रूप से विचाराधीन था।
जीएसआरटीसी अधिग्रहण और रखरखाव का काम संभालेगा, जबकि पर्यटन विभाग संचालन का मैनेज करेगा। स्पेसिफिकेशन्स और वाहनों की संख्या को अंतिम रूप देने के लिए जल्द ही एक टेडर जारी किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक इकाई की लागत 50 लाख से 2 करोड़ के बीच होने की उम्मीद है।
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