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गुजरात

गुजरात का कोऑपरेटिव मॉडल बना महिला सशक्तीकरण का आदर्श, वार्षिक आय में 43% की शानदार वृद्धि

गुजरात में दुग्ध संघों में भी महिलाओं की भूमिका बढ़ी है। साल 2025 में दुग्ध संघों के बोर्ड में 82 निदेशकों के रूप 25% सदस्य महिलाएं हैं, जो दुग्ध संघों की नीति निर्धारण में उनकी सक्रिय भागीदारी को दिखाता है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Jul 4, 2025 15:22

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सदैव यह दृढ़ विश्वास रहा है कि महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर ही भारत को संपूर्ण आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिला नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए उन्होंने सहकारी मॉडल को प्राथमिकता दी है। इसी विज़न को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात ने सहकारी क्षेत्र के ज़रिए महिला सशक्तीकरण को हकीकत में बदला है। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर गुजरात सरकार ने राज्य में बढ़ती महिला भागीदारी के कई प्रेरक आंकड़े साझा किए। इसके अनुसार, पिछले 5 सालों में (2020 से 2025 के बीच) महिला नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियां 21% बढ़कर 3,764 से 4,562 हो गई हैं।

दुग्ध संघों में 25% महिला बोर्ड सदस्य

गुजरात के सहकारिता विभाग द्वारा साझा आंकड़ों के अनुसार दुग्ध संघों में भी महिलाओं की नेतृत्व भूमिका बढ़ी है। साल 2025 में दुग्ध संघों के बोर्ड में 82 निदेशकों के रूप 25% सदस्य महिलाएं हैं, जो दुग्ध संघों की नीति निर्धारण में उनकी सक्रिय भागीदारी को दिखाता है। गुजरात की डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की सदस्यता भी लगातार बढ़ रही है। गुजरात में लगभग 36 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों में से लगभग 12 लाख महिलाएं हैं, यानी करीब 32% दुग्ध उत्पादक सदस्य महिलाएं हैं।

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इतना ही नहीं, इसी समयावधि में ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों की प्रबंधन समितियों में भी महिलाओं की भागीदारी 14% बढ़ी है। इन प्रबंधन समितियों में महिलाओं की संख्या 70,200 से बढ़कर 80,000 हो गई है। ये महिलाएं अब ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों में नीति निर्माण, संचालन और निगरानी जैसी अहम जिम्मेदारियां संभाल रही हैं।

दुग्ध संग्रह 39% बढ़कर 57 लाख LPD तक पहुंचा

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के विशेष अवसर पर गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) द्वारा साझा किए गए आँकड़ों में यह जानकारी सामने आई है कि गुजरात में महिला संचालित दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा मिल्क प्रोक्योरमेन्ट 2020 में 41 लाख लीटर प्रति दिन से 39% बढ़कर 2025 में 57 लाख लीटर प्रति दिन हो गया है जो वर्तमान समय में राज्य के कुल मिल्क प्रोक्योरमेन्ट का लगभग 26% है।

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वार्षिक आय में शानदार वृद्धि

गुजरात में महिला संचालित दुग्ध समितियाँ अब न सिर्फ सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बड़ा योगदान दे रही हैं। वर्ष 2020 में इन समितियों का अनुमानित दैनिक राजस्व 17 करोड़ था, जो वार्षिक रूप से करीब ₹6,310 करोड़ तक पहुँचता था। बीते पाँच वर्षों में यह आँकड़ा बढ़कर 2025 में 25 करोड़ प्रतिदिन हो गया है, जिससे वार्षिक अनुमानित राजस्व 9,000 करोड़ के पार पहुंच गया है। यानी इस अवधि में महिला संचालित समितियों के कारोबार में 2,700 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है, जो 43% की उल्लेखनीय वृद्धि को दिखाती है। यह सफलता महिला सशक्तीकरण के सहकारी मॉडल की मजबूती का प्रमाण है।

First published on: Jul 04, 2025 03:22 PM

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