Gujarat News: गुजरात में अमरेली जिले के जाफराबाद तालुका स्थित कागवदर सीमा क्षेत्र में दो शेर के बच्चों की मतलब शेर शावकों की, संदिग्ध हालात में मौत हो गई है, जिससे रहस्यमयी रोग फैलने की आशंका जताई जा रही है। घटना के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है और एहतियातन 11 शेरों का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। इस रेस्क्यू में अब तक 9 शेर शावकों और एक शेरनी को पिंजरे में बंद किया गया है। जानकारी के अनुसार, रेस्क्यू किए गए कई शावकों की हालत अत्यंत नाजुक है।
क्या कोई संक्रमण फैल रहा है?
इस मामले के बाद लोगों के जहन में ये सवाल बार-बार आ रहा है की कहीं एक बार फिर कोई जानलेवा संक्रमण तो नहीं फैल रहा है? दो शावकों की मौत और अन्य की नाजुक स्थिति के बाद वन विभाग गंभीरता से आशंका जता रहा है कि किसी रहस्यमयी या जानलेवा संक्रमण ने इन शावकों को अपनी चपेट में लिया होगा।
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वन विभाग अलर्ट पर
फिलहाल पलिताणा क्षेत्रुंजी डिवीजन के अंतर्गत जाफराबाद रेंज में वन विभाग की पूरी टीम सक्रिय हो गई है। हालांकि, स्थानीय फॉरेस्ट अधिकारी धनंजय साधु के मुताबिक, प्राथमिक तौर पर यह मौत एनीमिया या निमोनिया के चलते भी मानी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी के शेर शावक को एहतियातन रेस्क्यू किया गया है जबकि पूर्व वाइल्ड वार्डन विपुल लहरी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते है और इन बीमारियों की गंभीरता से जांच की मांग कर रहे हैं।
विशेष टीम कर रही जांच
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राजस्व और औद्योगिक क्षेत्रों में भी जांच शुरू कर दी गई है। जाफराबाद तालुका के राजस्व इलाकों, खनिज क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों में रह रहे शेरों की स्कैनिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही, शेरों के सैंपल लिए जाएंगे और वन्यजीव चिकित्सकों की विशेष टीम उनकी जांच करेगी। वन विभाग ने पूरे घटनाक्रम की गंभीर जांच शुरू कर दी है।
2018 की पुनरावृत्ति का डर
इस मुद्दे पर वन्यजीव प्रेमियों को चिंता सताने लगी है क्योंकि साल 2018 में भी एक संक्रमण की वजह से 22 शेरों की मौत हो चुकी है। पूर्व वाइल्ड वार्डन विपुल लहरी का कहना है कि “इस वक्त जरूरी है कि समय रहते सभी जरूरी टेस्ट कराए जाएं और स्पष्ट हो कि क्या वाकई कोई संक्रमण फैला है।”
क्या फिर होगी 2018 जैसी त्रासदी?
वन्यप्रेमी लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द फॉरेंसिक और लैबोरेटरी टेस्ट कराए जाए ताकि समय रहते हालात पर काबू पाया जा सके और शेरों की जान बचाई जा सके। जाहिर सी बात है की गुजरात की शान माने जाने वाले एशियाटिक शेरों पर मंडरा रहे इस संकट पर अगर समय रहते वन विभाग और सरकार ने कदम नहीं उठाए तो 2018 जैसी बड़ी त्रासदी दोबारा हो सकती है।
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