Gujarat Election 2022: पेशे से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले 35 साल के महेंद्र पाटनी अपनी किस्मत आजमाने के लिए गुजरात के गांधीनगर नॉर्थ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। महेंद्र उस वक्त चर्चा में आए जब वे चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंचे।
दरअसल, महेंद्र दो बोरियों में सिक्के भरकर अपने समर्थकों के साथ यहां जमानत राशि जमा कराने पहुंचे थे। दोनों बोरियों में 10 हजार रुपए के एक-एक के सिक्के थे। उन्होंने बताया कि ये रुपये उन्होंने अपने समर्थकों से जुटाए हैं जिसे वे चुनाव आयोग के पास जमा कराने पहुंचे हैं ताकि वे आगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ सके।
बोले- झुग्गियों के विस्थापितों ने मुझे चुनाव लड़ने को कहा
महेंद्र पाटनी ने बताया कि गांधीनगर में 2019 में एक होटल के लिए रास्ता बनाने के लिए कुछ झुग्गी बस्ती को तोड़ा गया था। तीन साल पहले गांधीनगर में महात्मा मंदिर के पास 521 झोपड़ियों के विस्थापित निवासियों ने उन्हें अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ने के लिए कहा था।
महेंद्र पाटनी ने बताया कि मैं भी झुग्गी के निवासियों में से एक थे। उन्होंने बताया कि 2019 में जब झुग्गीवासियों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया गया था ताकि आस-पास का क्षेत्र की जमीन पर होटल का निर्माण किया जा सके। उन्होंने बताया कि मैं एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहा हूं। मैं मजदूरों के परिवार से संबंधित हूं और एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करता हूं।
वर्तमान स्थान को भी छोड़ने के लिए किया जा रहा मजबूर: महेंद्र पाटनी
पाटनी ने कहा, “विस्थापित होने से पहले हमारी झुग्गी में बिजली थी। जब हमें होटल के पास दूसरे क्षेत्र में विस्थापित करने के लिए मजबूर किया गया, तो वहां पानी या बिजली नहीं है और कोई राजनेता हमारी सहायता के लिए नहीं आया।” उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारी उन्हें अपने वर्तमान स्थान को भी छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे थे।
निर्दलीय उम्मीदवार ने कहा, “जब चुनाव नजदीक होते हैं, तो सरकार के कुछ प्रतिनिधि और राजनेता आते हैं और हमें कुछ आश्वासन देते हैं, जिसे वे आसानी से बाद में भूल जाते हैं। यह 1990 के दशक से चल रहा है।” उन्होंने कहा कि उन्हें उन लोगों का समर्थन मिल रहा है जो चाहते हैं कि सरकार से कुछ ही मांगें पूरी की जाएं।
कहा- मुझे चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है
“अगर सरकार हमारी मांगों को पूरा करती है, तो मुझे चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार हमें रहने के लिए एक स्थायी स्थान प्रदान करे ताकि हमें एक और विस्थापन का सामना न करना पड़े।” उन्होंने कहा कि अधिकारी छोटे व्यवसायों को चलाने के लिए उपयोग की जाने वाली गाड़ियां जब्त करते हैं और गरीब लोगों को उन्हें छोड़ने के लिए 2,500-3,000 रुपये का भुगतान करते हैं। यह बंद होना चाहिए।”
बता दें कि गांधीनगर नॉर्थ विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी। 2012 में बीजेपी के अशोक पटेल ने 4,000 से अधिक वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी।
बता दें कि 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान दो चरणों में होगा। 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि मतपत्रों की गिनती 8 दिसंबर को होगी।