Marital Rape Judgement: दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में व्यक्ति की सजा के खिलाफ पुलिस की अपील को खारिज कर दिया है। अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी के साथ उसके शारीरिक संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाकर निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
पुलिस की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सुरेश कुमार और नीना बंसल की पीठ ने आदेश दिया कि निचली अदालत ने सही कहा था कि बच्ची की गवाही को ध्यान में रखते हुए उसने दिसंबर 2014 में प्रतिवादी से विवाद किया था। उसके बाद ही उनके बीच शारीरिक संबंध बने। पाॅक्सो कानून की धारा 5(1) साथ धारा 6 को पढ़ते हुए यह कोई अपराध नहीं है। इसके आधार पर व्यक्ति को बरी करने का निचली अदालत का फैसला सही था। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए पुलिस की अर्जी को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रखा बरकरार
इसके अलावा पीठ ने कहा कि पीड़िता पत्नी थी और पत्नी के साथ व्यक्ति का शारीरिक संबंध को रेप की श्रेणी में नहीं रख सकते। प्रतिवादी को बरी करने का फैसला सही था। आईपीसी की धारा 375 के तहत प्रदत्त छूट के तहत किसी व्यक्ति का अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाना रेप नहीं है।
यह है मामला
बता दें कि 2015 में पीड़िता की मां की शिकायत पर पति के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया। पीड़िता की मां ने यह मामला तब दर्ज कराया जब उसे अपनी नाबालिग बेटी गर्भवती हुई। निचली अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने इस बात को स्वीकार किया कि दिसंबर 2014 में उसकी उसके जीजा से शादी हुई थी। जिसके उसके पति ने उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए और गर्भवती हुई। वहीं सुनवाई के दौरान पीड़िता ने यह भी कहा उसकी शादी की जानकारी उसकी मां को नहीं थी। इसलिए मां ने अपनी बेटी के गर्भवती होने पर उसके पति के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करवाया था।
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