Delhi Pollution: पूरे दिल्ली-NCR में ठंड ने दस्तक दे दी है, लेकिन ठंड के साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी बढ़ोतरी हो रही है. वहीं, सोमवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 211 दर्ज किया गया था. प्रदूषण स्तर ‘खराब श्रेणी’ में पहुंचने के बाद आयोग ने आज ग्रैप (GRAP – Graded Response Action Plan) का स्टेज 1 लागू कर दिया है. आयोग ने यह फैसला सोमवार को हुई CAQM (Commission for Air Quality Management) की आपात बैठक में लिया.
CAQM के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 211 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है. मौसम विभाग और IITM के पूर्वानुमान के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों तक हवा की गुणवत्ता इसी स्तर पर बनी रह सकती है. ऐसे में प्रदूषण को और बढ़ने से रोकने के लिए ग्रैप का पहला चरण लागू किया गया है.
आइए जानते हैं कि क्या होता है GRAP और इसके तहत क्या एहतियात कदम उठाए जाते हैं.
क्या होता है ग्रैप (what is GRAP)?
एयर पाल्यूशन बढ़ने के बाद GRAP – Graded Response Action Plan लागू किया जाता है. ग्रैप का पहला चरण AQI 201 से 300 तक रहता है. दूसरा चरण AQI 301 से 400 तक रहता है. फिर तीसरा चरण AQI 401 से 450 तक रहता है. अगर AQI 450 से ज्यादा हो गया तो ग्रैप-4 लागू हो जाता है. हालांकि इसे सरकार की तरफ से ही लागू किया जाता है. जब तक सरकारी आदेश लागू नहीं होते हैं तब तक इसे लागू नहीं किया जाता है. इसके तहत कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं.
ग्रैप 1 के तहत क्या-क्या होती हैं पाबंदी?
- ग्रैप-1 के तहत कई तरह की पाबंदियां होती है. हालांकि इसका स्तर प्रारंभिक ही होता है. आमतौर पर ग्रैप-1 तब लागू किया जाता है, जब शहर का एक्यूआई 200 के पार पहुंच जाता है.
- ग्रैप-1 लागू होने के बाद होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता. क्योंकि इससे निकलने वाले धुआं पर्यावरण को तेजी से प्रभावित करते हैं.
- पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों (BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल) परिचालन पर पूरी तरह से सख्ती लागू की जाती है.
ग्रैप 2 के तहत क्या-क्या पाबंदी होती है?
- ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण यानी ग्रैप-2 के तहत कई पाबंदियां लागू की जाती हैं.
- ग्रैप-2 में औद्योगिक गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है. कई तरह के उद्योगों को बंद करने या उनकी गतिविधियों को सीमित करने के आदेश दिए जाते हैं, खासकर जो अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
- सभी तरह के निर्माण कार्य को रोक दिया जाता है, क्योंकि इससे धूल और अन्य कण वायुमंडल में मिलते हैं. जिसका सीधा असर वायु की गुणवक्ता पर होता है.
- ग्रैप-2 के तहत निजी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध सरकार लगा् सकती है और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाता है.
- ग्रैप-2 के तहत कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स को बंद कर दिया जाता है.
- कूड़े के निस्तारण को लेकर सख्त नियम लागू किए जाते हैं. कूड़े के खुले में जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
- बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखने के लिए स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश भी प्रशासन की तरफ से दी जा सकती है.
ग्रैप 3 के तहत होते हैं ये प्रतिबंध
ग्रैप 3 यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का तीसरा चरण, वायु प्रदूषण के बेहद गंभीर स्तर पर लागू किया जाता है. यह एक कठोर कदम है जो प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन की तरफ से उठाए जाते हैं. ग्रैप 3 के लागू होने का मतलब है कि प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है और तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. इसके बाद सरकार की तरफ से वायु प्रदूषण के स्तर को तेजी से कम करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाते हैं.
- निजी वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगाने का अधिकार प्रशासन के पास होता है. केवल आवश्यक सेवाओं के वाहनों को ही अनुमति ऐसे हालत में दी जाती है.
- सभी प्रकार के उद्योगों को बंद कर दिया जाता है, खासकर जो अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
- सभी प्रकार के निर्माण कार्य को रोक दिया जाता है. प्रशासन की तरफ से इस आदेश को तोड़ने वाले पर बड़े जुर्माने के अधिकार होते हैं.
- कोयले से चलने वाले सभी थर्मल पावर प्लांट्स को बंद कर दिया जाता है. साथ ही छोटे स्तर पर भी किसी भी तरह के कोयले के उपयोग को रोक दिया जाता है.
- सभी शैक्षणिक संस्थानों को प्रशासन एहितायत के तौर पर बंद कर सकती है.
ग्रैप 4 के तहत क्या-क्या पाबंदी होती है?
ग्रैप 4 यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का चौथा चरण बेहद खतरनाक स्थिति में लगाया जाता है. यह किसी भी शहर के लिए सबसे खतरनाक स्तर होता है. इसे पर्यावरण के लिए आपातकाल के तौर पर भी देखा जाता है. ग्रैप-4 वायु प्रदूषण के बेहद गंभीर स्तर पर लागू किया जाता है. यह प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे कठोर कदम होता है. ये प्रतिबंध क्षेत्र और प्रदूषण के स्तर के आधार पर बदल सकते हैं.
- निजी वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है. केवल आवश्यक सेवाओं के इलेक्ट्रिक वाहनों को ही अनुमति दी जाती है.
- सभी प्रकार के उद्योगों को बंद कर दिया जाता है, खासकर जो अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
- सभी प्रकार के निर्माण कार्य को रोक दिया जाता है.
- कोयले से चलने वाले सभी थर्मल पावर प्लांट्स को बंद कर दिया जाता है.
- खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि सभी प्रकार की बाहरी गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है.
- सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को भी सीमित करने के प्रयास होते हैं.