---विज्ञापन---

दिल्ली

‘फिजिकल रिलेशन बनाने का लाइसेंस नहीं दोस्ती’, दिल्ली हाईकोर्ट ने ठुकराई आरोपी की जमानत याचिका

Delhi High Court denying bail to accused sexual assault: पड़ोस में रहती 17 साल की युवती से दोस्ती के नाम पर शारीरिक संबंध बनाने, दोस्त के घर में बंद करने या मारपीट करने के आरोपी को जमानत देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि दोस्ती यौन उत्पीड़न या हिंसा को जायज़ नहीं ठहरा सकती.

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Oct 23, 2025 19:44
delhi highcourt

Delhi High Court denying bail to accused sexual assault: दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 साल की युवती को दोस्त के घर में बंद करने या मारपीट करने और यौन उत्पीड़न के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. आरोपी ने युवती के दोस्त होने और सहमति से बने संबंध का तर्क देकर अदालत से अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी. मामला घटित होने के 11 दिन बाद पीड़ित युवती की ओर से एफआईआर कराने को भी आरोपी युवक ने जमानत के लिए आधार बनाने की कोशिश की. अदालत ने कहा कि दोस्ती यौन उत्पीड़न या हिंसा को जायज़ नहीं ठहरा सकती. अदालत ने बचाव पक्ष की एफआईआर दर्ज करने में देरी की दलील को भी खारिज कर दिया और कहा कि यह लड़की के डर और सदमे की वजह से था.

आरोपी की चार बार पहले भी खारिज हुई जमानत

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 साल की युवती से यौन उत्पीड़न के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. अपने फैसले में जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि दोस्ती को यौन उत्पीड़न, कारावास या शारीरिक हिंसा के बचाव के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. 17 अक्टूबर को पारित आदेश में अदालत ने पोक्सो एक्ट के तहत आरोपी बनाए युवक की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपी चार बार पहले ही जमानत याचिका वापस ले लिए जाने या खारिज कर दिए जाने के बावजूद जांच में शामिल नहीं हुआ.

---विज्ञापन---

सहमति से बने रिश्ते का मामला

अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि आरोपी के सहमति से बने संबंध के तर्क को भी माना नहीं जा सकता. पीड़िता के बयान और मेडिकल इविडेंस का हवाला देते हुए जस्टिस शर्मा ने कहा कि अगर दोनों पक्ष दोस्त भी थे तो भी दोस्ती आरोपी को पीड़िता के साथ बार-बार दुष्कर्म करने, उसे अपने दोस्त के घर में बंद रखने और बेरहमी से पीटने की छूट नहीं देती. एफआईआर के अनुसार, आरोपी युवक नाबालिग पीड़िता के पड़ोस में रहता था. पीड़िता का आरोप था कि युवक उसे अपने दोस्त के घर ले गया, जहां उसके साथ मारपीट कर चुप रहने की धमकी दी.

आरोपी युवक की दलील भी सुनें

आरोपी ने दलील दी थी कि एफआईआर 11 दिन देरी से दर्ज की गई और दावा किया कि संबंध सहमति से बने थे. इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि पीड़िता के डर और सदमे को देखते हुए देरी समझ में आती है. न्यायाधीश ने कहा, “स्वाभाविक रूप से उक्त घटना के डर और आघात के कारण शिकायतकर्ता ने शुरू में अपने माता-पिता को घटना के बारे में बताने से परहेज किया था. आरोपों की गंभीर प्रकृति और पुष्टि करने वाले साक्ष्यों के कारण जमानत का कोई आधार नहीं बचा. उसके बाद अदालत ने आरोपी युवक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.

---विज्ञापन---
First published on: Oct 23, 2025 07:44 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.