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10,000 नौकरियों पर संकट; दिल्ली सरकार 40 विभागों के वॉलेंटियर्स को कर सकती है बर्खास्त

Delhi Government May Dismiss 10000 Civil Defense Volunteers: दिल्ली में 10 हजार नौकरियों पर संकट के बादल छा गए हैं। इस साल अप्रैल से रोके गए अपने वेतन को जारी करने की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शनों के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है।

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Oct 17, 2023 15:45
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Delhi Government May Dismiss 10000 Civil Defense Volunteers: दिल्ली में 10 हजार नौकरियों पर संकट के बादल छा गए हैं। इस साल अप्रैल से रोके गए अपने वेतन को जारी करने की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शनों के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दिल्ली सरकार के 40 विभागों में लगे 10,000 से ज्यादा नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की सेवाएं जल्द ही समाप्त होने की आशंका है।

सूत्रों ने कहा कि शुरू में प्रस्ताव राजस्व विभाग के विभिन्न नियमित कार्यों में लगे 189 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को हटाने का था। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी स्वयंसेवकों के रोजगार पर सही कानूनी स्थिति का पता लगाया जाना चाहिए। लिहाजा अक्टूबर के अंत से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जानी चाहिए। सूत्रों ने बताया कि सीएम ने यह भी निर्देश दिया कि अक्टूबर तक का वेतन तुरंत दिया जाए। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

ये वॉलेंटियर्स इन विभागों में करते हैं काम

रिपोर्ट में बताया गया है कि 10,792 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों में से 8,574 को परिवहन विभाग ने डीटीसी और क्लस्टर बसों में मार्शल के रूप में नियुक्त किया है। राजस्व, एमसीडी, पर्यावरण, खाद्य एवं आपूर्ति, व्यापार एवं कर और अन्य विभाग में लगाया गया है। सूत्रों ने कहा कि सीएम केजरीवाल ने यह भी सिफारिश की थी कि नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की भविष्य की सभी भर्ती उचित माध्यम से की जाएगी, न कि तदर्थ तरीके से।

नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 के अनुसार, इन वॉलेंटियर्स की भूमिका को किसी भी काम में लगाया जाता है। सरकार ने अधिनियम में कई बार संशोधन किया। नवीनतम संशोधन साल 2010 में हुआ, जब सरकार ने आपदा प्रबंधन को जिम्मेदारियों में से एक के रूप में शामिल किया।

कोरोना काल में रहे फ्रंट लाइन वर्कर

स्वयंसेवकों की मूल भूमिका स्थानीय प्रशासन की सहायता करना है, लेकिन वे विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं। इनमें ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ जैसे अभियानों में प्रशासन की सहायता करना और उप रजिस्ट्रार कार्यालयों के कामों में सहायता करना शामिल है। महामारी के दौरान, उन्होंने फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की भूमिका निभाई और हॉटस्पॉट की स्क्रीनिंग, भोजन वितरित करने, भीड़-भाड़ वाले स्थानों और टीकाकरण स्थलों पर सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने में सरकार की मदद की।

एक अनुमान के मुताबिक इन कर्मियों को सालाना 400 करोड़ रुपये वेतन के रूप में दिए जाते हैं, जिसमें केवल बस मार्शलों को दिए जाने वाली रकम 280 करोड़ रुपये है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि राजधानी में उनके द्वारा किया जा रहा काम नागरिक सुरक्षा अधिनियम के अनुरूप नहीं है। इस साल अप्रैल से अपना वेतन रोके जाने के कारण नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों ने हाल ही में कई विरोध प्रदर्शन किए हैं, जिनमें राज निवास, मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के आवास और दिल्ली सचिवालय शामिल हैं।

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First published on: Oct 17, 2023 03:45 PM

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