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‘जाको राखे साइयां, मार सके ना कोए’, 80 मीटर बर्फ के गड्ढे में गिरने के बाद, 48 घंटे बाद निकाले गए शख्स की कहानी

AIIMS doctors saved Anurag Mallu Life: नेपाल में अन्नपूर्णा पीक की चढ़ाई के दौरान एक हादसे में अनुराग गिर गए थे, वहां से दो दिनों के बाद उनके ग्रुप के सदस्यों ने उन्हें बाहर निकाला।

Edited By : Shailendra Pandey | Updated: Nov 9, 2023 12:07
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पल्लवी झा, दिल्ली: चमत्कार होते रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे, क्योंकि भगवान के रूप में डॉक्टर मौजूद हैं। इसका एक ताजा उदाहरण 80 मीटर बर्फ में और 72 घंटे तक गड्ढे में फंसे रहे अनुराग मल्लू का है। दरअसल, नेपाल में अन्नपूर्णा पीक की चढ़ाई के दौरान एक हादसे में अनुराग गिर गए थे, वहां से दो दिनों के बाद उनके ग्रुप के सदस्यों ने उन्हें बाहर निकाला। नेपाल में प्राथमिक इलाज के बाद अनुराग को दिल्ली लगभग 20 दिन बाद लाया गया। जयप्रकाश ट्रामा सेंटर एम्स से बर्न एंड प्लास्टिक विभाग के प्रमुख डॉ मनीष सिंघल ने न्यूज 24 को बताया कि बहुत ही मुश्किल हालात में इन्हें एम्स लाया गया, जहां 9 सर्जरी के बाद अनुराग आज अपने पैरों पर चलने की स्थिति में हैं।

Anurag Mallu

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दैवीय शक्ति का प्रताप

इस हादसे को लेकर अनुराग (34) ने बताया कि 80 मीटर के गड्ढे में गिरने के बाद भी मैं होश में था। मैं दो ट्रेंच में गिरा लेकिन, मुझे फ्रैक्चर नहीं हुआ था। गड्ढे में भी मैं अपने गोप्रो कैमरे से वीडियो बनाता रहा लेकिन, आखिरी 12 घंटे मैं बेहोश हो गया था और उसके बाद क्या हुआ, कुछ भी याद नहीं।

डॉक्टरों ने माना चमत्कार

डॉ मनीष सिंघल ने बताया कि उनको शाम को सात बजे रिक्वेस्ट आई थी कि वहां से आने में ही पांच दिनों तक मरीज ट्रांसफर नहीं हो पा रहा था। इसके बाद बड़ी मुश्किल से अनुराग नेपाल से यहां आ पाए। डॉ सिंघल ने बताया कि जब यहां पहुंचे तब तक उनके काफी ऑर्गन फेल हो चुके थे, इसके बाद उनकी छह सर्जरी हुई।

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Anurag Mallu

एम्स ने दी नई जिंदगी

अनुराग ने ईश्वर को धन्यवाद देते हुए बताया कि मैं यहां जिंदा हूं, यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। पिछले 200 दिनों के बाद मेरी नई जिंदगी एम्स की वजह से मिली है। मेरा बेड नम्बर 9 था। शायद वह मेरे लिए काफी लकी रहा। पूरे 5.5 महीने मैं उसी बेड पर पड़ा रहा, चलने की बात तो दूर मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं अपने पैरों पर खड़ा भी हो सकता हूं। मेरे लिए एम्स एक मंदिर है, जहां के भगवान की वजह से मैं आपके सामने जिंदा खड़ा हूं। अनुराग ने कहा कि जब सब कुछ ठीक हो जाएगा तो फिर से वह माउन्टेन एक्पीडीशन शुरू करेगा।

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इन्फेक्शन से बचाना बड़ी चुनौती

आईसीयू फिजीशियन डॉ कपिलदेव सोनी ने बताया कि जब हमारे पास अनुराग आए, तब उनकी हालत बहुत ही खराब थी। नर्सिंग डिपार्टमेंट से लेकर आईसीयू स्टाफ के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती थी, ताकि संक्रमण से बचाया जा सके। 31 अक्टूबर को जब अनुराग डिस्चार्ज हुए, तो वह पल हमारे लिए भी बहुत भावनात्मक था। डॉ कपिल ने आगे बताया कि नौ डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने मिलकर अनुराग की जान बचाई है।

 

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Shailendra Pandey

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Shailendra Pandey

First published on: Nov 08, 2023 05:36 PM

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