Chhattisgarh: भिलाई में बने प्रदेश के सबसे बड़े जू मैत्री बाग में जल्द नए वन्य प्राणि आ सकते हैं। मैत्री बाग में काफी लम्बे वक्त से वन्य प्राणियों को नहीं लाया गया। जिस वजह से बाग में नए वन्य जीवों की संख्या में कमी आई है। वन्य प्राणियों की संख्या कम होने के कारण यहां आये पर्यटकों में निराशा देखने को मिलती थी। पर अब मैत्री बाग जू के खाली पिंजरों में जल्द ही नए वन्य प्राणियों को रखा जाएगा। जू प्रबंधन रायपुर में बने जंगल सफारी से नए जानवरों को लाने की प्लानिंग कर रहा है।
कोविड के वक्त से ही यहां बंगाल टाइगर, गुजरात लायन और लेपर्ड की संख्या कम हो गई है। जिसके बाद से ये फैसला जू प्रबंधन द्वारा लिया गया है। जू प्रबंधन का ये फैसला पर्यटकों को मैत्री बाग की ओर आकर्षित करने वाला है। 51 साल पुराने इस बाग को सोवियत रुस और भारत की दोस्ती के प्रतीक में बनाया गया था। इस बाग में पर्यटकों को सफेद शेर, मगरमच्छ, स्नेक, लेपर्ड, मंकी, बर्ड जैसे कई पंक्षी और वन्य जीव आकर्षित करते हैं। संयुक्त मध्यप्रदेश में मैत्री बाग को सबसे बड़े चिड़ियाघर के रुप में जाना जाता था। इसे भिलाई इस्पात संयंत्र ने 1972 में बनाया गया था। मैत्री बाग जू आज भी छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा जू है।
रायपुर जंगल सफारी में बनी बात
मैत्री बाग जू प्रबंधन और बीएसपी हार्टिकल्चर डिपार्टमेंट के डीजीएम डॉ एनके जैन ने बताया, वन्य प्राणि एक्सचेंज के लिए दुसरे चिड़ियाघरो में भी बात की है। जू प्रबंधन को ऐसी उम्मीद है कि रायपुर के जंगल सफारी में बात बन सकती है। जू प्रबंधन की टीम अगले सप्ताह रायपुर के जंगल सफारी जाएगी। अगर रायपुर जंगल सफारी के प्रबंधक एक्सचेंज की बात पर तैयार हो गए, तो जल्द ही दोनों जगह के वन्य प्राणि आपस में एक्सचेंज करें जाएंगे। जाहिर है, मैत्री बाग जू प्रबंधन का ये फैसला कई नए पर्यटकों को जू आने के लिए प्रोत्साहित करने वाला है।