रायपुर: राज्य सरकार की कृषि योजनाओं से किसानों का खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। शासन द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं जिनमें से शैलो ट्यूबवेल योजना महत्वपूर्ण है। इस योजना का लाभ उठाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। लघु और सीमांत किसानों के लिए खेती-किसानी हमेशा से चुनौती पूर्ण रही है। राज्य में कई किसान सिंचाई की कमी की वजह से उन्नत कृषि नहीं कर पाते। इसके अलावा रबी और खरीफ की फसल भी नहीं ले पाते। पूरी तरह मानसून पर आधारित खेती में किसान हमेशा चिंतित रहता है। ऐसे किसानों के लिए शैलो ट्यूबवेल योजना काफी लाभप्रद साबित हो रही है।
मानसून पर निर्भर होने के कारण कम होता था उत्पादन
योजना का लाभ लेते हुए महासमुंद विकासखण्ड के ग्राम चिंगरौद के ऐसे ही लघु सीमांत कृषक तेजकुमार साहू ने खेती को घाटे से उबारते हुए कृषि को लाभदायक बनाया है। वे बताते हैं कि पूर्व में सिंचाई के साधन नहीं होने से खरीफ में ही खेती का कार्य करते थे जिससे सिंचाई पूरी तरह मानसून पर निर्भर होने के कारण उत्पादन कम होता था और फसल उत्पादन की मात्रा उम्मीद से कम होती थी। लागत की तुलना में आय कम प्राप्त होने से घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी।
यह भी पढे़ं-राष्ट्रीय खेल दिवस पर रायगढ़ को मिलेगी आधुनिक स्टेडियम की सौगात
खरीफ के अलावा रबी की फसल का भी ले रहे हैं लाभ
किसान साहू ने कृषि विभाग द्वारा संचालित राजिम भक्तिन धारा योजना अंतर्गत शैलो ट्यूबवेल का लाभ उठाकर अपने खेत में ट्यूबवेल खुदवाया। जिससे अब वे रबी और खरीफ दोनों फसल लेते हैं। अब खेती का रकबा सिंचित होने से फसल का नुकसान नहीं होता है और कृषक अब वर्षा के ऊपर निर्भर नहीं है। कृषक के द्वारा खरीफ में धान की फसल तथा रबी में दलहन, तिलहन व अन्य फसल का उत्पादन किया जाता है। जिससे कृषक की आय में वृद्धि हुई। इस तरह कृषक ने वर्ष में खरीफ एवं रबी फसल लेकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया। विभाग की राजिम भक्तिन धारा योजना अंतर्गत शैलो ट्यूबवेल खनन से कृषक के जीवन स्तर एवं आर्थिक स्तर में सुधार हुआ।
किसानों को मिलता है शत प्रतिशत अनुदान
महासमुंद जिले में लगभग 400 शैलो बोर का खनन किया गया हैं। यह कम गहराई वाला या उथला ट्यूबवेल है, जिसकी अधिकतम गहराई 50 फीट होती है। खासकर नदी किनारे बसे गावों के लिए बेहद उपयोगी है। एक शैलो ट्यूबवेल की लागत लगभग 20 हजार रुपये है और शासन इसके लिए किसानों को शत प्रतिशत अनुदान देती है। शासन द्वारा इसमें 5 हजार रुपये खुदाई के लिए और 15 हजार पम्प प्रतिस्थापन के लिए किसानों को प्रदान किया जाता है।