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Chhattisgarh: इस नक्सल गांव में आई खुशहाली, आजादी के बाद लोगों ने पहली बार देखीं फिल्में

Sukma District Puvarti Village First TV : छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में तेजी से विकास हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाएं नक्सल गांवों में पहुंच रही हैं। इसी क्रम में इस गांव के लोगों ने पहली बार टीवी में फिल्में देखीं।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Dec 14, 2024 19:56
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Puvarti Village First TV
इस गांव को मिला पहला टीवी।

Sukma District Puvarti Village First TV : छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित इलाके में ऐतिहासिक घटनाक्रम देखने को मिला। देश की आजादी के बाद पहली बार सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में खुशहाली आई, जहां पहला सौर ऊर्जा से चलने वाला टीवी पहुंचा। ग्रामीणों ने दूरदर्शन पर न्यूज, सीरियल और फिल्में देखीं। गांव के बच्चे, महिलाएं और पुरुष प्रोग्राम देखने के लिए घंटों तक टीवी सेट के आसपास बैठे रहे।

टॉप माओवादी नेता बरसे देवा और माड़वी हिड़मा का घर होने के कारण सुकमा जिले के पुवर्ती गांव काफी फेमस है। बस्तर क्षेत्र के इस सुदूर गांव को 11 दिसंबर को पहला टीवी मिला। इसे लेकर एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि भारत की आजादी के बाद पहली बार इस गांव के लोगों ने टीवी पर अपने पसंद के कार्यक्रम देखे।

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बल्ब और पंखे भी दिए गए

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छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (क्रेडा) के जरिए पुवर्ती गांव को 100 चैनल देखने के लिए सेट-टॉप बॉक्स के साथ 32 इंच का टेलीविजन मिला। साथ ही ग्रामीणों को सौर ऊर्जा से संचालित बल्ब और पंखे दिए गए। अधिकारी ने कहा कि बच्चों ने टीवी में उत्साह के साथ एजुकेशन प्रोग्राम और कार्टून देखा। उनके चेहरों पर सीखने की झलक साफ दिखाई दे रही थी। ग्रामीण विकास की दिशा में यह पहल एक बड़ा कदम है।

साल की शुरुआत में इन गांवों में बांटे गए थे उपकरण

इस साल की शुरुआत में नक्सल क्षेत्र में बिजली की कमी की समस्या को दूर करने के लिए सिलगर और टेकलगुडेम गांवों में भी इसी तरह के उपकरण दिए गए थे। यह पहल छत्तीसगढ़ सरकार की नियाद नेल्लनार योजना का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को 100 प्रतिशत पहुंचाना है।

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जानें क्या बोले जिला कलेक्टर?

इसे लेकर जिला कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि उनके प्रयास से न सिर्फ ग्रामीणों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं, बल्कि टिकाऊ ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। यह एक आदिवासी बहुल जिला है, जो हमेशा से वन और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध रहा है। सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों के वितरण से न सिर्फ पारंपरिक बिजली पर निर्भरता कम हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। अक्षय ऊर्जा का उपयोग प्रदूषण को कम करने और विकास के लिए एक मिसाल कायम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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Edited By

Deepak Pandey

First published on: Dec 14, 2024 07:55 PM

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