जातीय जनगणना को लेकर देशभर में सियासत गरमा हुई है। एक तरह विपक्ष है जो खुद की पीठ थपथपा रहा है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी, कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगा रही है। इस बीच बिहार में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने जातीय जनगणना के बाद आरक्षण को न्यायसंगत बनाने की बात कही है। आइये जानते हैं उन्होंने पत्र में किन-किन बातों का जिक्र किया।
तेजस्वी यादव ने अपने पत्र की शुरुआत बीजेपी नेताओं के जातीय जनगणना संबंधी बयानों को लेकर की है। जिसमें उन्होंने लिखा कि जब बिहार में जातीय जनगणना हुई तो बीजेपी नेताओं ने आंकड़ों पर सवाल खड़े किए। इसके बाद उसके लागू होने को लेकर भी अड़ंगा लगाया। तेजस्वी यादव ने लिखा देश भर में जाति जनगणना कराने की आपकी सरकार की हाल की घोषणा के बाद, मैं आज आपको सतर्क आशावाद की भावना के साथ लिख रहा हूं।
Former Bihar Dy CM and RJD leader Tejashwi Yadav writes a letter to PM Narendra Modi on the Centre’s decision to include caste census in the national census.
The letter reads, “… Your belated decision represents an acknowledgement of the groundswell of demands from the… pic.twitter.com/3n8OfX8FtK
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) May 3, 2025
एनडीए गठबंधन पर उठाए सवाल
वर्षों से आपकी सरकार और एनडीए गठबंधन ने जाति जनगणना की मांग को विभाजनकारी और अनावश्यक बताकर खारिज कर दिया था। जब बिहार ने अपने संसाधनों से जाति सर्वेक्षण कराने की पहल की, तो केंद्रीय सरकार और उसके शीर्ष कानून अधिकारी ने हर कदम पर बाधाएं खड़ी कीं। आपकी पार्टी के सहयोगियों ने इस तरह के डेटा संग्रह की आवश्यकता पर ही सवाल उठाया। अनेक प्रकार कि फूहड़ और अशोभनीय टिप्पणियां कि गयीं। आपका विलंबित निर्णय उन नागरिकों की मांगों की व्यापकता को स्वीकार करता हैए जिन्हें लंबे समय से हमारे समाज के हाशिये पर रखा गया है।
जातीय जनगणना सामाजिक न्याय के लिए जरूरी
बिहार के जाति सर्वेक्षण नेए जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी हमारे राज्य की आबादी का लगभग 63% हिस्सा हैं, यथास्थिति बनाए रखने के लिए फैलाए गए कई मिथकों को तोड़ दिया। जाति जनगणना कराना सामाजिक न्याय की लंबी यात्रा का पहला कदम मात्र है। जनगणना के आंकड़ों से सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण के दायरे को आबादी के अनुरूप बढाने का ध्येय भी इस प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।
एक देश के रूप में, हमारे पास आगामी परिसीमन में कई प्रकार के अन्याय को ठीक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण जनगणना के आंकड़ों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। ओबीसी और ईबीसी का निर्णय लेने वाले संस्थानों में पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए। राज्य विधानसभाओं और भारत की संसद में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के आधार पर इन वंचित समूहों को सम्मिलित किया जाना होगा।
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पीएम को सहयोग का दिया आश्वासन
तेजस्वी यादव ने आगे लिखा कि प्रधान मंत्री जी, आपकी सरकार अब एक ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ी है। जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। हमारे पुरखों ने कई दशकों से इन आंकड़ों के संग्रह के लिए संघर्ष किया है, अतः इस निर्णय को अमली जामा पहनाने में किंचित भी विलम्ब नहीं होना चाहिए।
एक दीगर सवाल यह भी है कि क्या डेटा का उपयोग प्रणालीगत सुधारों के लिए उत्प्रेरक के रूप में किया जाएगा या यह कई पिछली आयोग रिपोर्टों की तरह धूल भरे अभिलेखागार तक ही सीमित रहेगा। बिहार के प्रतिनिधि के रूप में, जहां जाति सर्वेक्षण ने जमीनी हकीकत के प्रति आंखें खोली हैं, मैं आपको सामाजिक परिवर्तन करने में रचनात्मक सहयोग का आश्वासन देता हूं। इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग न केवल डेटा बल्कि सम्मान, न केवल गणना बल्कि सशक्तिकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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