Supreme Court on SIR verification: बिहार में एसआईआर को आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि अगर बड़े पैमाने पर नाम कटे हैं ते हम हस्तक्षेप करेंगे। एसआईआर को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 65 लाख वोटर्स के नाम काटे जा रहे हैं। इस पर जस्टिस बागची ने कहा कि हमारी इस पूरे मामले पर नजर है। अगर वोटर्स के नाम काटे जा रहे हैं तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप ऐसे 15 लोगों को लेकर आइये जो कहें कि वे जीवित हैं। इसके बावजूद उनका नाम काट दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। सोमवार को कोर्ट ने कहा कि अगर एसआईआर की प्रक्रिया में खामी मिली तो हम पूरी प्रक्रिया को रद्द कर देंगे।
राशन और आधार कार्ड पर आयोग ने क्या कहा?
कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से कहा कि आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को एसआईआर प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है। इस पर आयोग ने जवाब देते हुए कहा कि राशन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये बड़े पैमाने पर फर्जी बनाए गए।
इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा कि अगर फर्जीवाड़े की बात हो रही है तो ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो जिसकी नकल नहीं हो सकती। कोर्ट ने आयोग के 11 दस्तावेजों की मांग पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि इन दस्तावेजों को मांगने का क्या आधार है?
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चुनाव आयोग ने जारी किए आंकड़े
बता दें कि चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को एसआईआर को लेकर आंकड़े जारी कर दिए थे। इसके अनुसार बिहार में 7.24 करोड़ वोटर्स हैं। इससे पहले यह आंकड़ा करीब 7.89 करोड़ था। एसआईआर के बाद करीब 65 लाख लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं। आयोग के अनुसार इन 65 में से 22 लाख की मौत हो चुकी है। 36 लाख वोटर्स स्थानांतरित हो गए हैं। 7 लाख लोग किसी और क्षेत्र के स्थायी निवासी बन चुके हैं।
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