सौरव कुमार, पटना।
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा का चुनाव होना है। पिछले 3 महीने में राहुल तीन बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। पहले बिहार प्रभारी को बदला गया, उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष को बदला गया और फिर कन्हैया कुमार के नेतृत्व में ‘पलायन रोको,नौकरी दो’ पदयात्रा निकाली गई और अब पप्पू यादव को अधिवेशन में बुलाकर पार्टी ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है।
देर से ही सही, कांग्रेस में पप्पू यादव को मिली जगह
2024 के लोकसभा चुनाव के पहले पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल होने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। कांग्रेस में शामिल होने के लिए पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था। पूर्णिया से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने टिकट का आश्वासन भी दिया, जैसा पप्पू यादव मीडिया को बताते रहे। कांग्रेस के कहने पर उन्होंने लालू दरबार में मत्था भी टेका, लेकिन आरजेडी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया। नामांकन फार्म खरीद कर पप्पू यादव कांग्रेस के सिंबल का इंतजार करते रहे। पर्चा दाखिल करने की तारीख बदलते रहे, लालू के आगे तब कांग्रेस लाचार थी, फिर वह पप्पू यादव के साथ कैसे खड़ी होती।
पप्पू यादव के बयान से महागठबंधन में घमासान
आखिरकार पप्पू यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्हें हराने के लिए तेजस्वी 40 विधायकों का दस्ता लेकर वहां जम गए। पप्पू यादव को हराने के लिए तेजस्वी ने एनडीए को वोट देने तक की अपील तक कर दी। इसके बावजूद पप्पू यादव जीत गए। तब से वे कांग्रेस का आशीर्वाद पाने का प्रयास करते रहे, अब यह अवसर कांग्रेस ने उन्हें दे दिया है। अहमदाबाद एआईसीसी की बैठक में शामिल होने का आखिरी वक्त पप्पू को न्योता मिल गया। अधिवेशन में शामिल होने के बाद उत्साहित सांसद पप्पू यादव ने राजद पर ही सवाल खड़े कर दिए।पप्पू यादव ने कहा बिहार में कांग्रेस कार्यकर्ता आरजेडी के साथ खुद को असहज महसूस करता है। इस बयान के बाद महागठबंधन के अंदर घमासान मच गया है।
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‘आरजेडी खुश रहे या न रहे इससे हमें फर्क नहीं पड़ता’
साथ ही बिहार में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की सक्रियता पर भी पप्पू यादव ने प्रतिक्रिया दी। सांसद ने पूर्णिया में पत्रकारों से कहा कि हिंदी पट्टी में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सभी मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आरजेडी खुश रहे या न रहे इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। सभी गठबंधन धर्म के तहत अपना काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि बीजेपी को हराने के लिए हिंदी पट्टी में गठबंधन जरूरी है, क्योंकि क्षेत्रीय दल अकेले बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकते।’