PM Modi Bihar Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाएंगे, जिसे बिहार के सारण जिले के मरहोरा में लोकोमोटिव फैक्ट्री से गिनी को एक्सपोर्ट किया जाएगा। यह पीएम का दूसरा दौरा है। पीएम मोदी पहले बिहार के सिवान में जाएंगे। वहां पर वैशाली देवरिया रेल प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। जिसकी लागत 400 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई है। इस रूट पर एक न्यू ट्रेन सर्विस भी शुरू की जाएगी। वहीं, पटलिपुत्र से गोरखपुर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई जाएगी। इस वंदे भारत से नोर्थ बिहार की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
#WATCH | Bihar: PM Narendra Modi will flag off the first locomotive later today, which will be exported to the Republic of Guinea from the Locomotive Factory in Saran’s Marhowrah.
---विज्ञापन---The locomotive factory in Marhowrah, Saran, is India’s first Public-Private Partnership Project… pic.twitter.com/SwxJPvY0Tf
— ANI (@ANI) June 19, 2025
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क्या है सिमंडौ परियोजना?
वैबटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप ने बताया कि सिमंडौ परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी आयरन ओर माइनिंग परियोजनाओं में से एक है। इसमें खनन 2 जरूरी क्वारी डिवीजन में किया जाएगा और आयरन ओर को 620 किमी दूर एक बंदरगाह पर भेजा जाएगा, जो रेल के जरिए किया जाएगा। फिर आयरन ओर को अलग-अलग देशों में निर्यात किया जाएगा। ये लोकोमोटिव एक महत्वपूर्ण और जरूरी रोलिंग स्टॉक हैं। यह एक सफल परियोजना बनेगी।
#WATCH | Saran, Bihar: Sandeep, Managing Director, Wabtec, says, “The Simandou project is one of the largest iron ore mining projects in the world… Mining will be done in two critical mine divisions, and the iron ore will be shipped to a port 620 km away, which will be done via… https://t.co/aV7TWELFYr pic.twitter.com/4rJ17VS6Zr
— ANI (@ANI) June 19, 2025
परियोजना के जरिए लोग बनेंगे सशक्त
इस सुविधा में निर्मित इंजनों की ताकत 4500 हॉर्स पावर है। 8100 टन का अनुगामी भार खींचने के लिए हर एक ट्रेन में दो लोकोमोटिव जोड़े जाएंगे। हम मानक गेज इंजनों का निर्यात कर रहे हैं, जबकि भारतीय रेलवे ब्रॉड गेज इंजनों का उपयोग करता है। इस परियोजना को 2015 में आवंटित किया गया था, जिसमें वैबटेक की 75% इक्विटी और भारतीय रेलवे की 25% इक्विटी थी। 7 में हमारे संचालन के सालों में हमने 726 इंजनों की आपूर्ति की है। अगले 3 सालों में 150 इंजन गिनी भेजे जाएंगे। इस परियोजना के जरिए 1500 से ज्यादा लोगों को सशक्त बनाया गया है और 99% जनशक्ति बिहार से है।
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