Nitish Kumar Government: बिहार में नीतीश सरकार का फोकस आधी आबादी पर विशेष रूप से रहा है, क्योंकि जब-जब नीतीश कुमार की नैया फंसती नजर आई है, तो महिलाओं ने ही पार लगाई है। पिछली सरकारों के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति और विकास में हाशिये पर रहने वाली आधी आबादी को सही मायने में नीतीश कुमार की सरकार में बड़ी राहत मिली है।
नीतीश सरकार की योजनाओं से महिलाओं की तस्वीर बदली है। महिलाओं के कहने पर बिहार में शराबबंदी कानून लागू करने वाले नीतीश कुमार ने सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया, जिस कारण आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
इसके अलावा, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक सम्मान और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनाया गया। साल 2005 में बिहार की बागडोर संभालने के बाद नीतीश कुमार की पहली प्राथमिकता क्राइम और करप्शन रही। इस पर नियंत्रण किया और बिहार की जनता को मूलभूत सुविधाएं पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराईं।
गांव-गांव में दी सुविधाएं
बिहार की जनता को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं, यह देखने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांव-गांव की यात्रा शुरू की। उन्होंने अब तक 14 यात्राएं की हैं। इस दौरान वे बिहार के सभी जिलों में जाकर वहां चल रही विकास योजनाओं की जमीनी हकीकत को देखा और उसके मुताबिक नियमों और सुविधाओं में तब्दीली की।
फोकस में ग्रामीण महिलाएं रहीं। ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए एक खास प्रकार की योजना चलाई जिसका नाम ‘जीविका’ रखा गया। पहले इसे ‘बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना’ के नाम से जाना जाता था। बिहार में जीविका की शुरुआत साल 2006-07 में वर्ल्ड बैंक से लोन लेकर की गई।
तत्कालीन केंद्र सरकार के मंत्रियों ने बिहार आकर जीविका समूह के कामों को देखा और पूरे देश में इसका नामकरण ‘आजीविका’ किया यानी जीविका पूरे देश में आ जाए। जीविका से ही आजीविका बना है। बिहार की वैसी ग्रामीण महिलाओं के लिए जीविका काफी मददगार है जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है। इसके तहत हर ग्रुप की हर महिला को अलग-अलग काम के लिए कर्ज मिलता है। अब तक कुल 25 हजार करोड़ रुपये का बैंक क्रेडिट महिलाओं को दिया गया है।
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