Bihar Cycle Poshak Yojana (अमिताभ ओझा): बिहार में एक दौर था जब महिलाएं अपनी बेटियों को घर से बाहर भेजने से घबराती थीं। अनहोनी की आशंका के कारण लड़कियों को कॉलेज तो दूर, स्कूल तक नहीं भेजती थीं। इसका एक बड़ा कारण था कानून व्यवस्था की स्थिति, लेकिन 2005 में जब नीतीश कुमार की सरकार बनी तो सबसे पहले कानून व्यवस्था में सुधार किया गया, जिसके बाद शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार लाने की बड़ी कोशिश हुई। बालिका शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर साक्षरता अभियान चलाया गया, जिनमें साइकिल और पोशाक योजना की चर्चा पूरे देश में हुई।
नीतीश सरकार ने कई योजनाएं चलाकर महिलाओं में शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाई। शिक्षा विभाग की सबसे चर्चित पोशाक और साइकिल योजना की चर्चा आज चारों तरफ हो रही है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाली बालिकाओं को पोशाक के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बालिकाओं को हर साल 600 रुपये, तीसरी से पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 700 रुपये, छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 1000 रुपये और नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 1500 रुपये दिए जाते हैं। समय-समय पर राशि में बढ़ोतरी भी की जाती है। साल 2018 में इस योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य राज्य की बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें समृद्ध बनाना है।
मुख्यमंत्री साइकिल योजना के अंतर्गत कक्षा 09वीं में अध्ययनरत सभी बालक और बालिकाओं को 75% उपस्थिति के आधार पर 3000 रुपये की दर से विभाग द्वारा डीबीटी के जरिए राशि स्वयं लाभुकों के बैंक खाते में उपलब्ध कराई जाती है।
छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत उच्च विद्यालयों में कक्षा 9 और 10 में पढ़ने वाले सभी बालक और बालिकाओं को 75% उपस्थिति के आधार पर विभाग द्वारा एक साल में प्रति लाभुक 1800 रुपये की दर से छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाती है। वर्ग 01 से 04 के बच्चों को सालाना 600 रुपये दिए जाते हैं। कक्षा 05 से 06 के बच्चों को 1200 रुपये हर साल और कक्षा 07 से 08 के बच्चों को 1800 रुपये प्रति वर्ष दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना
मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत कक्षा 07 से 12 तक में बालिकाओं को सैनिटरी नैपकीन के लिए 300 रुपये प्रति छात्रा की दर से राशि उपलब्ध कराई जाती है। मुख्यमंत्री बालक/बालिका प्रोत्साहन/मेधावृत्ति योजना के तहत मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्णता के पश्चात् प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण सभी कोटि के छात्र/छात्राओं को प्रति लाभुक 10 हजार रुपये तथा द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण एससी/एसटी कोटि के छात्राओं को प्रति लाभुक 8000 रुपये एकमुश्त राशि लाभुकों के बैंक खाते में उपलब्ध कराई जाती है।
मेधावृत्ति योजना के अंतर्गत ही एससी/एसटी कोटि के इंटरमीडिएट परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण बालिकाओं को प्रति लाभुक 15 हजार रुपये तथा द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण बालिकाओं को प्रति लाभुक 10 हजार रुपये की दर से स्वयं लाभुकों के बैंक खाते में राशि उपलब्ध कराई जाती है।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का उद्देश्य राज्य की लड़कियों के सामाजिक और शैक्षणिक विकास को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपनी शिक्षा को जारी रख सकें और भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें। यह योजना लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत कई स्तरों पर सहायता दी जाती है, जो कि बालिकाओं को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने में सहायक है।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत सरकार कई किस्तों में बच्चियों को आर्थिक सहायता देती है। जैसे बच्ची के जन्म के समय मां-बाप को 2 हजार रुपये की पहली किस्त मिलती है। ऐसे ही एक पूरा होने पर आधार रजिस्ट्रेशन के समय 1 हजार रुपये, 2 साल की उम्र यानी जब पूरे टिके लग जाते हैं तब 2 हजार रुपये और इसी तरह बच्ची के एडमिशन से लेकर 9 कक्षा में पढ़ाई के दौरान अलग-अलग चरणों में प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस योजना के तहत मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास होने वाली छात्राओं को 10 हजार रुपये, इंटरमीडिएट पास अविवाहित छात्राओं को 25 हजार रुपये एवं स्नातक पास छात्राओं को 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है।
मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना
इसके अलावा सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को राज्य में ऐतिहासिक, भौगोलिक और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों, धरोहरों और विरासतों की जानकारी के मकसद से बच्चों को भ्रमण कराने के लिए मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना के अंतर्गत उच्च विद्यालयों एवं परिभ्रमण योजना के अंतर्गत प्रारंभिक विद्यालयों को प्रति विद्यालय 20 हजार रुपये की दर से राशि उपलब्ध कराई जाती है।
राज्य सरकार ने मेधावी विद्यार्थियों के लिए ऐसी व्यवस्था की है कि उन्हें पैसे के अभाव में पढ़ाई बीच में न छोड़नी पड़े। इसके लिए सरकार ने बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना चलाई है, जिसके अंतर्गत छात्र/छात्राओं को इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरा करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विभाग द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार ऋण स्वरूप चार लाख रुपये तक आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है।
राज्य सरकार ने बालिकाओं की पढ़ाई के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की स्थापना की है। यहां शैक्षिक रूप से पिछड़े इलाकों की बालिकाओं की 12वीं तक की पढ़ाई के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ-साथ आवासीय सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन का ही परिणाम है कि आज बिहार में कई योजनाएं चलाकर लड़कियों में शिक्षा का अलख जगाया गया है। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाली लड़कियों में इसका अच्छा नतीजा देखने को मिला है। मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना और बालिका पोशाक योजना ने बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के साथ ही उन्हें संबल और आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है।
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