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बिहार

कौन है अजय वर्मा? गोपाल खेमका मर्डर केस में सामने आया नाम, पुलिस ने की पूछताछ

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पटना में व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। मामले में बेउर जेल में बंद अजय वर्मा पर शक जताया जा रहा है, जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। पढ़ें कौन है अजय वर्मा, उस पर कितने केस है? पढ़ें पटना से अमिताभ ओझा की रिपोर्ट ।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jul 6, 2025 19:53
Gopal Khemka
कारोबारी गोपाल खेमका (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

बिहार चुनाव से पहले राजधानी पटना में व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या से हड़कंप मच गया। जांच कर रही पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं। पुलिस ने बेउर जेल में छापेमारी की थी और बताया था कि मोबाइल, सिम कार्ड समेत कुछ आपत्तिजनक सामान बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि जेल में बंद एक शख्स से पुलिस ने पूछताछ भी की थी।

कौन हैं अजय वर्मा?

गोपाल खेमका हत्याकांड में शक की सुई बेउर जेल में बंद अजय वर्मा पर जा रही है। बताया जा रहा है कि वह राजनीति में आने की तैयारी में था। अजय वर्मा के सोशल मीडिया प्रोफाइल पर ऐसी कई तस्वीरें हैं, जिनमें वह खुद को एक पार्टी से जुड़ा बताते हुए आगामी चुनाव में कुम्हारार विधानसभा क्षेत्र का भावी उम्मीदवार बता रहा है। पुलिस ने जेल में उससे पूछताछ की है।

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अजय वर्मा पर दर्ज हैं कई केस

हालांकि, पुलिस अभी तक आधिकारिक रूप से इस हत्याकांड में अजय वर्मा की संलिप्तता की पुष्टि नहीं कर रही है। उस पर हत्या, अपहरण और सुपारी किलिंग जैसे कई मामलों में आरोप हैं। उसके खिलाफ डकैती और आर्म्स एक्ट के तहत भी मामले दर्ज हैं।

जानकारी के मुताबिक, उसके खिलाफ कुल 28 से अधिक मामले दर्ज हैं। 24 जून 2025 को ही उसे पटना से गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान पुलिस ने उसके पास से जर्मन मेड पिस्टल और 98 कारतूस बरामद किए थे। छह साल पहले खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी हत्या हुई थी, जो भाजपा से जुड़े हुए थे। वर्ष 2018 में हाजीपुर स्थित फैक्ट्री में उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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वहीं जनसुराज के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इस हत्याकांड को लेकर बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के अधीन “जंगल राज” की तरह ही है। लालू यादव के जंगल राज और नीतीश कुमार के राज में कोई अंतर नहीं है। लालू यादव के राज में अपराधियों का बोलबाला था और नीतीश कुमार के राज में अधिकारियों का बोलबाला है।

 

First published on: Jul 06, 2025 07:28 PM

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