मोदी सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने का फैसला लेने के बाद अब क्रेडिट वॉर शुरू हो गया है। बिहार में जातीय जनगणना की सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है क्योंकि प्रदेश में कुछ ही महीनों के बाद विधानसभा चुनाव होना है। इसकी शुरुआत पटना में कांग्रेस के पोस्टर से हुई। इसमें राहुल गांधी को सामाजिक न्याय का महानायक करार दिया गया है। इसके बाद बीजेपी ने भी राहुल गांधी और कांग्रेस पर पलटवार किया। इस बीच केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने प्रेस वार्ता कर आरजेडी और कांग्रेस पर निशाना साधा है।
राहुल गांधी पर साधा निशाना
चिराग पासवान ने कहा कि 1960 के दशक में लोहिया जी के विचारों पर चलने वाली संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर मेरे पिता रामविलास पासवान 1969 में पहली बार चुनाव लड़े और विधायक बने। जिस एक नारे नें उन्हें उस वक़्त प्रेरित किया था वो था- संसोपा नें बंधी गांठ, पिछड़ा पाएं सौ में साठ। मुझे खुशी है कि उस नारे को हकीकत में बदलने के लिए जिस जातीय जनगणना की ज़रुरत है उसके लिए इच्छाशक्ति प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाई है।
1931 में पिछली दफा जातीय जनगणना हुई थी सवाल ये है उसके बाद कितनी सरकारें बनी, जातीय जनगणना का आदेश अब तक किसी सरकार नें क्यों नहीं दिया? कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में क्यों नहीं कराया? राहुल जी होड़ में लगे हैं श्रेय लेने के लिए लेकिन जवाब दें कि उनके परिवार के 3 प्रधानमंत्री जो हुए उन्होंने जातीय जनगणना क्यों नहीं कराई?
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आरजेडी पर भी साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि ये बिहार चुनाव से जुड़ा फैसला नहीं है क्योंकि अगर ये चुनाव से जुड़ा होता तो लोकसभा चुनाव के पहले ये फैसला हो गया होता। आरक्षण का लाभ आज कुछ ही जातियां ले रही हैं, उसे भी दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। इस दौरान चिराग ने आरजेडी पर भी निशाना साधा। चिराग ने कहा कि जब आरजेडी के अपने सीएम थे तब उन्होंने जातीय सर्वे क्यों नहीं कराया? जिस सरकार में बिहार में सर्वे हुआ उसका नेतृत्व मौजूदा सीएम नीतीश कुमार ही कर रहे थे।
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