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बिहार

‘हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब’, जाति जनगणना पर बोले लालू प्रसाद यादव

केंद्र सरकार ने जाति जनगणना को मंजूरी दे दी है। इस फैसले पर लालू यादव ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही इसकी पहल की थी, जो हम 30 साल पहले सोचते हैं, उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते हैं।।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Apr 30, 2025 18:07

केंद्र सरकार ने जाति जनगणना करने का फैसला लिया है। देश भर में शुरू होने वाली जनगणना के फॉर्म में ही जाति का भी एक कॉलम होगा। इसके जरिए आंकड़े जुटाये जानेंगे कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं। विपक्ष के कई नेता जातिगत जनगणना की मांग कर चुके हैं और चुनाव जीतने पर इसे कराने का वादा भी कर चुके हैं। अब केंद्र सरकार की कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले पर बिहार के पूर्व सीएम और देश के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद की प्रतिक्रिया सामने आई है।

क्या बोले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्षता रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया। 2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार मांग उठाई।

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लालू प्रसाद यादव ने आगे लिखा कि मैंने मुलायम सिंह, शरद यादव ने इस मांग को लेकर कई दिन तक संसद को ठप्प किया और बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद चलने दिया। देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ।

‘जो हम 30 साल पहले सोचते हैं, उसे दशकों बाद फॉलो करते हैं’

उन्होंने आगे लिखा कि हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते हैं, उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते हैं। जाति जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला। अभी बहुत कुछ बाकी है। इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे।

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लालू प्रसाद यादव का पोस्ट

क्या बोले बिहार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव?

जाति जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा कि जब हमने बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर आरक्षण को बढ़ाकर 65% किया था, तब भी हमने केंद्र सरकार से मांग की थी कि इस प्रावधान को अनुसूची 9 में शामिल किया जाए, लेकिन अब तक भारत सरकार ने ऐसा नहीं किया है और उसे कोर्ट में फंसा दिया है। यह हमारी मांग रही है और यह हमारी ही जीत है।

उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना परिसीमन से पहले होनी चाहिए और फिर जिस तरह दलितों, एससी, एसटी और आदिवासियों के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में आरक्षित सीटें हैं, उसी तरह ओबीसी और अति पिछड़े वर्गों के लिए भी संसद और चुनावों में सीटें आरक्षित होनी चाहिए।

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Apr 30, 2025 05:21 PM

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