BJP First Candidate List: बिहार विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में बुलाई गई भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक ख़त्म हो गई. बैठक में ज्यादातर सीटों पर चर्चा पूरी हुई. सूत्रों के मुताबिक़ इस बार टिकटों में बड़े पैमाने पर कटौती नहीं होगी, क्योंकि बीजेपी को लगता है कि न सरकार के प्रति और न ही विधायकों के प्रति कोई खास एंटी-इनकंबेंसी है. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक़, विधायक और पिछली बार के उम्मीदवार दोनों को मिलाकर करीब 20% से ज़्यादा बदलाव नहीं होगा. पिछली बार जिनका टिकट कटा था, उनकी जगह नए चेहरे लाए गए थे, इसलिए अब बड़े फेरबदल की संभावना कम है.
🪷Attending BJP's Central Election Committee (CEC) Meeting at Party Headquarters in New Delhi, chaired by BJP National President Hon JP Nadda ji under leadership of Hon PM Narendra Modi Ji.
Hon Union Home and Cooperation Minister Amitbhai Shah, senior leaders are present.
🪷नवी… pic.twitter.com/9G1tkiBUza---विज्ञापन---— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) October 12, 2025
सामाजिक समीकरण का विशेष ध्यान
नई उम्मीदवारियों में बीजेपी सामाजिक समीकरण का विशेष ध्यान रख रही है. जिस जाति की किसी क्षेत्र में संख्या ज़्यादा है, उस समुदाय को टिकट में तरजीह दी जा रही है. नए चेहरे के तौर पर बीजेपी कुछ युवा चेहरे को भी मैदान में उतारेगी जो पहली बार चुनाव मैदान में उतरेंगे. बीजेपी हर चुनाव में औसतन 4-5 नए चेहरों को मौका देती है. जिन विधायकों की रिपोर्ट कार्ड बेहद खराब है, उनका टिकट कट सकता है. उम्र भी एक अहम फैक्टर होगी. 70 साल से ज़्यादा उम्र वाले उम्मीदवारों को तभी टिकट मिलेगा, जब उस सीट पर उनके अलावा कोई जीताऊ चेहरा न हो.
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110 की जगह इस बार 101 सीटों पर उतरेगी भाजपा
एनडीए के फाइनल हुए सीट शेयरिंग फार्मूले के मुताबिक भाजपा को इस बार 101 सीटों पर ही संतोष करना होगा. 80 सीटों पर उसके मौजूदा विधायक हैं. पांच साल के कार्यकाल और क्षेत्र में उनकी सक्रियता और जीतने के चांस को देखने के बाद ही भाजपा यह फैसला लेगी कि उन्हें उनकी सीट से दोबारा टिकट दिया जाए या नहीं. उम्मीद है कि इस विश्लेषण में कम विधायकों के ही टिकट कटने के चांस हैं तो ऐसे में भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में कम चेहरे ही नए देखने को मिलेंगे.
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पिछले दो चुनाव में भाजपा के क्या थे आंकड़े
बिहार में 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 74 सीटों पर जीत मिली, उपचुनाव जीतने के बाद और दूसरे दलों से पार्टी में आए नेताओं के बाद संख्या 80 तक पहुंच गई. उससे पहले 2015 में भाजपा ने अकेले 157 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें केवल 53 सीटें खाते में आईं. यानी गठबंधन में रहते हुए भाजपा को विधानसभा चुनाव में ज्यादा सफलता हासिल हुई.
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