बिहार इन दिनों राष्ट्रगान और क्राइम की घटनाओं को लेकर जमकर सियासत हो रही है। विपक्ष खासकर आरजेडी इन दोनों को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर है। इस बीच आज लालू यादव ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है। जिसको लेकर काफी हलचल है। इससे पहले सीएम नीतीश कुमार बिहार में इफ्तार पार्टी का आयोजन कर चुके हैं। हालांकि जमीयत समेत अनेक संगठनों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया। वजह थी वक्फ बोर्ड बिल को लेकर बीजेपी को समर्थन देना। जमीयत उलेमा ए हिंद के मौलाना मदनी ने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। हालांकि कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसमें हिस्सा लिया था।
रामनवमी को लेकर बीजेपी की क्या तैयारी?
इस बीच बीजेपी देशभर में रामनवमी के कार्यक्रम को लेकर तैयारियों में जुटी है। खबरों की मानें तो पार्टी पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर 2000 से अधिक कार्यक्रम करेगी। इसको लेकर पार्टी ने 1 करोड़ हिंदुओं के जुटान का लक्ष्य तैयार किया है। इससे पहले पिछले वर्ष रामनवमी पर देश के अलग-अलग राज्यों में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आई थी। इसके बाद कई राज्यों में दंगाइयों पर हुए बुलडोजर एक्शन पर जमकर बयानबाजी हुई थी। आइये जानते हैं चुनावी राज्य बिहार में रामनवमी को लेकर बीजेपी की क्या तैयारी है?
बिहार में जातियां कितनी निर्णायक?
बिहार में सियासी तौर पर जातियों में बंटा हुआ है। जातीय जनगणना के अनुसार प्रदेश में 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ों की, वहीं पिछड़े 27.12 प्रतिशत है। जबकि दलित आबादी करीब 19.65 प्रतिशत है। एसटी की आबादी 1.68 प्रतिशत और सवर्णों की आबादी 16 प्रतिशत है। बीजेपी का बिहार में सवर्णों को छोड़कर कोई कोर वोटर नहीं है। ऐसे में पार्टी का जोर ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग पर है। जोकि आबादी के लिहाज से सर्वाधिक है। ऐसे में पार्टी का फोकस इनको एक कर हिंदुओं के ध्रुवीकरण पर है। इसी क्रम में पार्टी रामनवमी पर विशाल शोभायात्राएं निकाल सकती हैं। ऐसे में आइये जानते हैं बिहार में रामनवमी पर बीजेपी कैसे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर सकती है।
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बीजेपी की नजर अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट बैंक पर
रामनवमी पर बीजेपी की शोभायात्रा के आयोजन को लेकर बीजेपी की क्या तैयारी है? इसको लेकर न्यूज24 पटना के वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा का कहना है कि पार्टी में इस स्तर की कोई तैयारी नहीं की है। हां, पटना में पिछले कई सालों से शोभायात्राएं निकाली जा रही हैं। पूरे पटना में करीब 45 शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। इसमें सीएम और राज्यपाल भी शामिल होते हैं। यह बात सही है कि पार्टी जाति की राजनीति करने की बजाय धार्मिक ध्रुवीकरण पर ज्यादा भरोसा करती है। ऐसा अब तक उसकी रणनीति में नजर भी आया है।
बिहार में बीजेपी का कोर वोटर्स सवर्णों को माना जाता है। अब पार्टी धीरे-धीरे अति पिछड़ा और पिछड़ा पर ध्यान केंद्रित कर रही है। ताकि बिहार के इस निर्णायक वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत बना सके।
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