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बिहार

PMFME योजना में बिहार अव्वल पायदान पर, 10 हजार से अधिक आवेदकों को लोन देने की मिल चुकी मंजूरी

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन(पीएमएफएमई) योजना बिहार के लोगों को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में लाभ पहुंचाने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। बिहार ने देशभर में पहला स्थान हासिल किया है। अब तक 10 हजार 296 आवेदकों को लोन देने की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसमें 6 हजार 589 इकाइयों को लोन भी जारी की जा चुकी है। यह कुल वितरण का 63 फीसदी है।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: May 10, 2025 09:22
बिहार उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा
बिहार उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन(PMFME) योजना बिहार के लोगों को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में लाभ पहुंचाने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने में बिहार ने एक बार फिर परचम लहराया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में योजना के सफल क्रियान्वयन और अधिक से अधिक संख्या में इससे लोगों को जोड़कर लाभ दिलाने में बिहार ने देशभर में पहला स्थान हासिल किया है। अब तक यहां 10 हजार 296 आवेदकों को लोन देने की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसमें 6 हजार 589 इकाइयों को लोन भी जारी की जा चुकी है। यह कुल वितरण का 63 फीसदी है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र को बढ़ावा देना

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पीएमएफएमई केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही एक प्रमुख योजना है। इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र को बढ़ावा देना और इसमें प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है। इस योजना की मदद से किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और उत्पादक सहकारी समितियों को भी उनका वास्तविक मूल्य मुहैया कराई जाती है।

बनाई जा सकती कई तरह की श्रेणी

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पीएमएफएमई योजना के तहत लाभार्थियों की कई तरह की श्रेणी तैयार की जा सकती है। इसमें उद्यमी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां, प्रोपराइटरशिप फर्म, साझेदारी फर्म, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), सहकारी समितियां, एफपीओ और स्वयं सहायता समूह शामिल हैं।

इकाइयों को सशक्त बनाने पर खास फोकस

इसमें सूबे की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत, समूह और सामुदायिक स्तर पर इकाइयों को अनुदान के जरिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाई को उनकी परियोजना लागत का 35 फीसदी (अधिकतम 10 लाख रुपये) तक का क्रेडिट लिंक्ड अनुदान दिया जा रहा है। लाभार्थियों का अंशदान कम से कम 10 प्रतिशत और कार्यशील पूंजी समेत कुल निवेश 20 प्रतिशत तक होना आवश्यक है।

एफपीओ, एसएचजी को भी सहायता

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि PMFME राज्य में उद्यमशीलता खासकर छोटे स्तर के उद्योग को स्थापित करने के लिए बेहद लाभकारी योजना है। इसमें एफपीओ, स्वयं सहायता समूह और सहकारी समितियों को भी समूह इकाई के रूप में परियोजना लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 10 लाख रुपये) तक का क्रेडिट लिंक्ड अनुदान दिया जा रहा है। इसमें भी लाभार्थी समूह का अंशदान कम से कम 10 प्रतिशत और कुल पूंजी निवेश 20 प्रतिशत तक होना अनिवार्य है।

सामान्य सुविधा केंद्र के तहत एफपीओ, एसएचजी और सहकारी समितियों को सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए सहायता दी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 3 करोड़ रुपये) तक का अनुदान संभव है। लाभार्थी समूह को न्यूनतम 10 प्रतिशत अंशदान और कुल पूंजी निवेश 20 प्रतिशत तक करना होता है।

उद्योग-धंधों और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा

बता दें कि पीएमएफएमई राज्य में उद्यमशीलता खासकर छोटे स्तर के उद्योगों को स्थापित करने के लिए बेहद लाभकारी योजना है। इसका क्रियान्वयन बेहतरीन तरीके से बिहार में हो रहा है। इसी का परिणाम है कि देश में राज्य अव्वल स्थान पर पहुंच गया है। राज्य के लिए यह गर्व की बात है। इससे राज्य में उद्योग-धंधों और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

 

 

First published on: May 10, 2025 09:22 AM

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