Bihar Cabinet Expansion (सौरभ कुमार, पटना) : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। बीजेपी कोटे से सात विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें एक को छोड़कर सभी मंत्रिमंडल के नए चेहरे हैं। खास बात यह है कि सातों मंत्रियों के चयन में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। जब News24 इन मंत्रियों से बात की तो कुछ ने स्वीकार किया कि जातीय समीकरण जरूरी है तो कुछ ने कहा कि बीजेपी में कार्यकर्ता को मौका दिया जाता है, जाति के आधार पर नहीं।
राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि सभी नेता कार्यकर्ता से यहां तक पहुंचे हैं। सभी काम करने वाले चेहरे हैं। बीजेपी कोटे से मंत्री बनने वाले मोतीलाल प्रसाद का कहना है कि सभी मंत्री बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, इन्हें जातीय समीकरण की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।
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विजय कुमार मंडल ने जातीगत समीकरण को स्वीकारा
अररिया के सिकटा से विधायक विजय कुमार मंडल पहली बार मंत्री बने हैं। उन्होंने जातीय समीकरण की बात को सहज से स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि राजनीति में जातीय समीकरण जरूरी होता है। मंत्री बने डॉ. संजय सरावगी ने कहा कि जातीय समीकरण नहीं, पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को मौका मिला है।
कृष्ण कुमार मंटू बोले- पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को मिला मौका
हाल ही में पटना में कुर्मी चेतना रैली करने वाले अमनौर से बीजेपी विधायक कृष्ण कुमार मंटू ने कहा कि उन्हें जातीय आधार पर मौका नहीं मिला है, बल्कि वे पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कुर्मी चेतना रैली के सवाल पर कहा कि वह एक सामाजिक संघटन के बैनर तले किया था। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पश्चिम चम्पारण से सांसद डॉ. संजय जायसवाल का कहना है कि पार्टी ने अनुभव और वरीयता के आधार पर इन सात मंत्रियों को मौका दिया है।
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