पटना से सौरव कुमार की रिपोर्टः बीजेपी नेतृत्व ने सम्राट को बिहार भाजपा का ‘चौधरी’ बना दिया है। सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर बड़ी राजनीतिक चाल चली है। भाजपा ने यह निर्णय 2024 लोकसभा और 2025 विस चुनाव को लेकर किया है।
जदयू से उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने के बाद भाजपा ने कुशवाहा वोटों को साधने के लिए बड़ी चाल चल दी है। इसीलिए प्रदेश अध्यक्ष के पद पर सम्राट चौधरी की ताजपोशी की गई है। पार्टी की इस पहल से माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष सम्राट चौधरी के नेतृत्व में ही भाजपा 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
पिछड़ा वर्ग से आते है सम्राट
भाजपा ने लगातार तीसरी बार पिछड़े समाज से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना कर बड़ा संदेश देने का काम किया है। निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल और वर्तमान में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के बाद, पिछड़े समाज से तीसरे नेता को पार्टी ने लगातार प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
एक नजर में सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी के राजनीतिक जीवन की बात करें तो वो बिहार में लालू यादव, राबड़ी देवी, नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की सरकार में नगर विकास और पंचायती राज विभाग के अलावा कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। सम्राट चौधरी मूलतः मुंगेर जिले के लखनपुर के रहने वाले हैं। उनका खगड़िया से अटूट रिश्ता रहा है।
उनकी राजनीतिक कर्मभूमि खगड़िया रही है। सम्राट के पिता शकुनी चौधरी खगड़िया के सांसद रह चुके हैं। सम्राट खुद खगड़िया जिले के परबत्ता विधान सभा से दो बार विधायक रह चुके हैं। वे साल 2000 में पहली बार परबत्ता से विधायक चुने गए थे। सम्राट चौधरी के आने के बाद पार्टी के बड़े नेता भी काफी उत्साहित है।
राजद की थी अपने करियर की शुरूआत
19 मई 1999 को सम्राट चौधरी पहली बार मंत्री बने थे। लालू प्रसाद के शासनकाल में वे कृषि मंत्री बनाए गए थे लेकिन उम्र से अयोग्य होने के कारण उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। उन्होंने 2000 में पहली बार परबत्ता विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, बाद के चुनाव में उन्हें हार का समाना करना पड़ा था। 2010 में वे फिर से राजद से विधायक निर्वाचित हुए।
2010 में उन्हें बिहार विधानसभा में विपक्षी दल का मुख्य सचेतक बनाया गया। साल 2014 में वे राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए। 2 जून 2014 को बिहार सरकार में शहरी विकास और आवास विभाग के मंत्री बनाए गए। फिर जीतन राम मांझी की सरकार में भी मंत्री बने। उसके बाद वे भाजपा में शामिल हुए। 2018 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए थे।
बीजेपी को लगता है की सम्राट चौधरी के अध्यक्ष बनने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की राह आसान हो जाएगी और इस उम्मीद को पूरा करने के लिए सम्राट चौधरी के सामने अब बड़ी चुनौती है।