Bihar News: बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। पूर्व में पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर तत्काल प्रभाव से 3 जुलाई तक रोक लगा दी थी, जबकि आज यानी मंगलवार को हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस याचिका को भी खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने तुरंत सुनवाई की अपील की थी।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार में उदासी का माहौल है, लेकिन अभी भी सरकार में बैठे नेताओ को लगता है कि बिहार में जातीय जनगणना जरूर होगी, क्योंकि यह जनहित में है। अब सवाल यह है कि बिहार सरकार जातीय जनगणना कराने की जल्दबाजी में क्यों है ?
2024 और 2025 में मुद्दे को भुनाना चाहती है सरकार
दरअसल, बिहार में महागठबंधन की सरकार जातीय जनगणना के आंकड़ों को 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव में एक ब्रह्मास्त्र के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है। सरकार को पता है कि जब इस जनगणना के आंकड़े सामने आएंगे तो एक बार फिर आरक्षण संबंधी बातें होंगी। दूसरी ओर भाजपा इस मामले से दूरी बनाए हुए है। भाजपा हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान कर रही है।
भाजपा की ये है मंशा
बिहार में भाजपा खुलेआम तो नहीं, लेकिन जातीय जनगणना का विरोध कर रही है। तब बिहार सरकार ने सर्वसम्मति से राज्य में जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया था। तब बिहार में एनडीए की सरकार थी और भाजपा साथ थी। उसी समय विधानमंडल के दोनों सदनों में जातीय जनगणना कराने का सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। इसी कारण भाजपा खुलकर विरोध नहीं कर रही है।