अमिताभ ओझा
Harihar Nath Temple: अब बिहार मे भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर एक मंदिर का विस्तार होगा। यह मंदिर है सोनपुर का बाबा हरिहर नाथ मंदिर है। राजधानी पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर गंगा और गंडक के संगम पर स्थित हरिहर नाथ मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है। मंगलवार को नीतीश कैबिनेट की हुई बैठक में इस पर मुहर लगा दी है और इसके लिए मुख्य परामर्श की नियुक्ति भी कर दी गई है। सरकार के इस फैसले के बाद हरिहरनाथ मंदिर प्रबंधन समिति और स्थानीय लोग काफी खुश है।
सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक
मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कुल 136 प्रस्तावों पर मुहर लगी। प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों में जो घोषणाएं की थी, उस पर कैबिनेट से मुहर लगी है। सोनपुर के बाबा हरिहरनाथ मंदिर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। बिहार कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी।
काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकास
इसके बाद सोनपुर के बाबा हरिहर नाथ क्षेत्र का विकास होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकास करने को लेकर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर के विकास को लेकर मुख्य परामर्श की नियुक्ति की गई है। एचसीपी डिजाइन प्लैनिंग एंड मैनेजमेंट अहमदाबाद का इस काम के लिए चयन किया गया है। मंदिर में पर्यटकों की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टिकोण से मंदिर परिक्षेत्र को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
2011 से हो रहा था प्रयास
बाबा हरिहर नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव विजय सिंह बताते है की 2011 से ही प्रबंधन समिति इस मंदिर के विकास के लिए प्रयत्नशील है। अपने स्रोत से मंदिर का विकास भी किया जा रहा था,लेकिन प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा किया था की बाबा हरिहर नाथ मंदिर का विकास किया जाएगा। इसके बाद कैबिनेट की बैठक से पहले सोमवार को मुख्य सचिव अमृत लाल मीना मंदिर मे आये थे और जानकारियां ली थी। इसके बाद मंगलवार को कैबिनेट ने काशी विश्वनाथ मंदिर के तर्ज पर मंदिर के विकास पर मुहर लगाई है। मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव विजय सिंह के अनुसार यदि बाबा हरिहर नाथ मंदिर का विकास होगा तो ये पूर्वोतर भारत का तिरुपति मंदिर होगा।
इकलौता शिवलिंग है जिसमें महादेव और विष्णु दोनों एक साथ
मंदिर के पुजारी बमबम बाबा बताते है की यह दुनिया का इकलौता शिवलिंग है जिसमें महादेव और विष्णु दोनों एक साथ हैं। बमबम बाबा के अनुसार गंगा और गंडक के तट पर शैव और वैष्णव सम्प्रदाय के भक्तों के बीच भीषण युद्ध हुआ थाष इस बात की चर्चा पद्म पुराण में भी है। पद्म पुराण के तथ्यों के मुताबिक दोनों सम्प्रदाय के लोग अपने आराध्य को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए महीनों तक युद्ध लड़ते रहे। इस युद्ध में भारी रक्तपात हुआ था और दोनों एक दूसरे को सुनने को तैयार नहीं थे।
वैष्णव और शैव दोनों संप्रदायों के लिए खास है यह मंदिर
युद्ध बढ़ता गया और रक्तपात होता रहा। जब लगा कि इससे धरती पर मानव का पूर्ण विनाश हो जाएगा तो भगवान शिव को साक्षात् दर्शन देना पड़ा। भगवान शिव धरती पर आये और उन्होंने भक्तों को समझाया कि मैं ही शिव हूं और मैं ही विष्णु हूं। भक्तों ने शिव की बात मानी पर जो वैष्णव सम्प्रदाय के लोग थे उन्होंने विष्णु को भी इसी शिवलिंग में साथ रखने की बात कही। दोनों सम्प्रदाय के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ और एक ही शिवलिंग में भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों को स्थापित किया गया। भक्तों की सहमति से इस मंदिर का हरिहर नाथ पड़ा। हरि का मतलब विष्णु और हर का मतलब महादेव और तब से यह मंदिर वैष्णव और शैव दोनों संप्रदायों के लिए खास है।