बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले बिहार में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। कांग्रेस एक ओर रोजगार दो यात्रा निकाल रही है। तो वहीं दूसरी ओर आरजेडी कानून व्यवस्था और वक्फ बिल पर लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है। बीजेपी और जेडीयू इन सबसे दूर अपनी चुनावी तैयारियों को धार देने में जुटे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एक दिन पहले बयान दिया जिसने पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी भूचाल ला दिया। हालांकि चौबे ने कहा कि ये उनकी व्यक्तिगत इच्छा है। उधर बीजेपी ने इस बयान पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। ऐसे में आइये जानते हैं बिहार में अगर जेडीयू को कम सीटें आती हैं तो नीतीश कुमार का सियासी भविष्य क्या है?
रणनीति बदलेंगे सीएम नीतीश
नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वे अपने निर्णयों से चौंकाते आए हैं। वे कई बार पाला बदल चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उनका एनडीए में आना इसकी बड़ी मिसाल है। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री का यह कहना कि नीतीश कुमार को केंद्र में डिप्टी पीएम बनना चाहिए। यह उनकी व्यक्तिगत इच्छा है। बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार की पार्टी की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही है। वक्फ बिल पर केंद्र सरकार को समर्थन के बाद उनका मुस्लिम वोट बैंक खिसकना तय माना जा रहा है। ऐसे में सीएम नीतीश और उनकी पार्टी अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है।
बिहार में बीजेपी उभरती ताकत
राजनीति पंडितों की मानें तो बिहार में बीजेपी एक उभरती हुई ताकत है। नीतीश कुमार की जदयू एक खत्म हो चुकी ताकत है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी के मन में इस बात का डर है कि वह अकेले आरजेडी और कांग्रेस का मुकाबला नहीं कर सकती है। नीतीश कुमार भले ही कमजोर हुए हैं लेकिन उनका कुर्मी और कोइरी वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है। इसके अलावा उनकी नजर दलित वोट बैंक पर भी है। यह सर्वविदित है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में अगर चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारते तो उनकी पार्टी की यह स्थिति नहीं होती जो आज है।
कमजोर नहीं हुए हैं नीतीश कुमार
ऐसे में आज की तारीख में जो यह मानकर चल रहा है कि नीतीश कुमार कमजोर हुए हैं। इसका मतलब है कि वे नीतीश कुमार की राजनीतिक ताकत से परिचित नहीं है। अगर ऐसा होता तो जेडीयू को लोकसभा चुनाव में भी नुकसान होता, लेकिन उनकी पार्टी ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की। इसमें कोई शक नहीं कि बिहार में महागठबंधन का दायरा बढ़ा है लेकिन इस चुनाव में क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। 2024 के चुनाव में 10 सीटें महागठबंधन जीतने में सफल रहा। महागठबंधन सेंधमारी करने में सफल तो रहा लेकिन वे एनडीए को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए।
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क्या बीजेपी नीतीश को फिर सीएम बनाएंगी?
ऐसे में जो नेता और दल यह मानकर चल रहे हैं कि नीतीश कुमार बिहार में कमजोर हो चुके हैं, ये उनकी बड़ी भूल है। कुछ ही महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी और जेडीयू कुनबे का फोकस चुनाव की रणनीति बनाने पर है। वक्फ बिल पर बीजेपी का साथ देकर नीतीश कुमार ने यह तो साबित कर दिया कि वे भविष्य में पलटने वाली कहानी तो नहीं दोहराएंगे। ऐसे में अब देखना यह है कि क्या बीजेपी चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार को फिर से सीएम बनाएंगी?
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