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बिहार

बिहार में कांग्रेस के लिए ‘आगे कुआं पीछे खाई’ वाली स्थिति, तेजस्वी-राहुल गांधी की मुलाकात के क्या मायने?

दिल्ली में आज बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच बड़ी बैठक हुई। बैठक में तेजस्वी यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा राहुल गांधी भी मौजूद रहे। बैठक से बाहर निकले तेजस्वी यादव की भाव भंगिमाएं बता रही थी कि मीटिंग के नतीजे कुछ खास नहीं रहे।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Apr 15, 2025 14:24
Congress RJD Meeting
Tejashwi Yadav Mallikarjun Kharge Rahul Gandhi

बिहार में विधानसभा चुनाव में 6-8 महीने का समय बचा है। इस बीच सियासी दलों में सीट बंटवारे और सीएम फेस को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है। आज दिल्ली में तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सीट बंटवारे और सीएम फेस को लेकर बातचीत की। बैठक के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहे।

कांग्रेस में बैचेनी

दिल्ली के बाद बिहार चुनाव में राहुल गांधी की दिलचस्पी और गुजरात चुनाव की तैयारी बताती है कि कांग्रेस में अजीब प्रकार बैचेनी है। कांग्रेस चाहती है कि उसका खुद का वजूद हो। वह गठबंधन में सहयोगियों की बैसाखी के सहारे सत्ता में नहीं रहना चाहती है। कुल मिलाकर कांग्रेस एक प्लान बी पर काम कर रही है। राहुल गांधी अब तक तीन बार बिहार के दौरे कर चुके हैं। 15 अप्रैल को दिल्ली में आज हुई मीटिंग के बाद 17 और 20 अप्रैल को बिहार में भी ऐसी ही बैठकें होनी हैं।

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कांग्रेस-आरजेडी के अपने-अपने दावे

कांग्रेस दावा कर रही है कि वह बिहार में कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उधर आरजेडी उसे 50-60 सीटें देने के मूड में हैं। ऐसे में सीटों का बंटवारा महागठबंधन में आने वाले समय में बड़ी समस्या हो सकता है। आरजेडी का दावा है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटों पर लड़ने का अवसर मिला लेकिन वह सिर्फ 27 सीटें ही जीत पाई। जबकि कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा सीटों के आधार पर वह 70 सीटें जीत सकती है। ऐसे में 100 सीटें देना आरजेडी के आत्मघाती साबित नहीं होगा।

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लालू यादव का पुत्र मोह

सीटों के बंटवारे के अलावा एक बड़ा मुद्दा महागठबंधन के नेता का है। लालू यादव चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर चुनाव में गठबंधन का चेहरा तेजस्वी यादव ही होने चाहिए। वहीं कांग्रेस अभी इस पर खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रही है। महागठबंधन का नेता ही सीएम पद का उम्मीदवार होता है। 2015 में नीतीश कुमार को चेहरा बनाया गया था, चुनाव जीतने के बाद वे ही सीएम बने थे। 2020 का चुनाव महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा था, जब उनके नाम की घोषणा हुई थी उस समय राहुल गांधी भी मौजूद थे, लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि मामला फंसा हुआ है।

कांग्रेस के लिए यह दुविधा

कांग्रेस के सामने दुविधा यह है कि वह किसी भी कीमत पर राज्य में अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। ऐसे में अगर इस बार वह फिर अगर तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ती है तो उसे डर है कि कहीं पुनः एकजुट हो रहा काडर बिखर ना जाए। कुल मिलाकर यहां पर आरजेडी से ज्यादा मुश्किल कांग्रेस को है। एक तरफ वह सेफ होकर खेलना भी चाहती है तो दूसरी ओर तेजस्वी को सीएम फेस भी घोषित नहीं करना चाहती है।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Apr 15, 2025 02:24 PM

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