बिहार में विधानसभा चुनाव में 6-8 महीने का समय बचा है। इस बीच सियासी दलों में सीट बंटवारे और सीएम फेस को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है। आज दिल्ली में तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सीट बंटवारे और सीएम फेस को लेकर बातचीत की। बैठक के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहे।
कांग्रेस में बैचेनी
दिल्ली के बाद बिहार चुनाव में राहुल गांधी की दिलचस्पी और गुजरात चुनाव की तैयारी बताती है कि कांग्रेस में अजीब प्रकार बैचेनी है। कांग्रेस चाहती है कि उसका खुद का वजूद हो। वह गठबंधन में सहयोगियों की बैसाखी के सहारे सत्ता में नहीं रहना चाहती है। कुल मिलाकर कांग्रेस एक प्लान बी पर काम कर रही है। राहुल गांधी अब तक तीन बार बिहार के दौरे कर चुके हैं। 15 अप्रैल को दिल्ली में आज हुई मीटिंग के बाद 17 और 20 अप्रैल को बिहार में भी ऐसी ही बैठकें होनी हैं।
कांग्रेस-आरजेडी के अपने-अपने दावे
कांग्रेस दावा कर रही है कि वह बिहार में कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उधर आरजेडी उसे 50-60 सीटें देने के मूड में हैं। ऐसे में सीटों का बंटवारा महागठबंधन में आने वाले समय में बड़ी समस्या हो सकता है। आरजेडी का दावा है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटों पर लड़ने का अवसर मिला लेकिन वह सिर्फ 27 सीटें ही जीत पाई। जबकि कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा सीटों के आधार पर वह 70 सीटें जीत सकती है। ऐसे में 100 सीटें देना आरजेडी के आत्मघाती साबित नहीं होगा।
ये भी पढ़ेंः Bihar: ‘बेमेल है कांग्रेस और राजद का गठबंधन’, जानिए मांझी की नाराजगी पर क्या बोले दिलीप जायसवाल
लालू यादव का पुत्र मोह
सीटों के बंटवारे के अलावा एक बड़ा मुद्दा महागठबंधन के नेता का है। लालू यादव चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर चुनाव में गठबंधन का चेहरा तेजस्वी यादव ही होने चाहिए। वहीं कांग्रेस अभी इस पर खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रही है। महागठबंधन का नेता ही सीएम पद का उम्मीदवार होता है। 2015 में नीतीश कुमार को चेहरा बनाया गया था, चुनाव जीतने के बाद वे ही सीएम बने थे। 2020 का चुनाव महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा था, जब उनके नाम की घोषणा हुई थी उस समय राहुल गांधी भी मौजूद थे, लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि मामला फंसा हुआ है।
कांग्रेस के लिए यह दुविधा
कांग्रेस के सामने दुविधा यह है कि वह किसी भी कीमत पर राज्य में अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। ऐसे में अगर इस बार वह फिर अगर तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ती है तो उसे डर है कि कहीं पुनः एकजुट हो रहा काडर बिखर ना जाए। कुल मिलाकर यहां पर आरजेडी से ज्यादा मुश्किल कांग्रेस को है। एक तरफ वह सेफ होकर खेलना भी चाहती है तो दूसरी ओर तेजस्वी को सीएम फेस भी घोषित नहीं करना चाहती है।
ये भी पढ़ेंः दिल्ली INDIA की बैठक में इन 2 मुद्दों पर होगी चर्चा, मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलेंगे तेजस्वी यादव