बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच टक्कर देखने को मिल सकती है। बिहार में एनडीए के साथ बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (आर), राष्ट्रीय लोक मोर्चा, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा समेत कई पार्टियां शामिल हैं, वहीं इंडिया गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, विकासशील इंसान पार्टी समेत अन्य शामिल हैं। चुनाव से पहले गठबंधन की पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद देखने को मिलता है।
टूट गई थी पार्टी, फिर खड़े हुए चिराग
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान बिहार की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण थे। अब उनकी पार्टी लोक जनशक्ति दो टुकड़ों में बंट गई है। एक हिस्सा बेटे चिराग पासवान के पास है, जो मौजूदा केंद्र सरकार में मंत्री हैं और बिहार में ताल ठोक रहे हैं। वे एनडीए में शामिल हैं। वहीं दूसरा हिस्सा रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस के पास है, जिसका नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी है। पशुपति पारस अब इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए हैं।
सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की हुंकार
चुनाव से पहले चिराग पासवान लगातार हुंकार भर रहे हैं, बिहारियों के हक की बात कर रहे हैं। इसके साथ ही वे एनडीए में रहते हुए सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात भी कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने 6 जुलाई को छपरा में आयोजित ‘नव संकल्प महासभा’ को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब चिराग पासवान ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही हो।
रणनीति या दबाव बनाने की कोशिश?
सवाल यह उठ रहा है कि जब चिराग पासवान एनडीए में हैं, तो वे बार-बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात क्यों कर रहे हैं? क्या यह कोई सोची-समझी रणनीति है या बीजेपी-जेडीयू पर दबाव बनाने की कोशिश? दरअसल, चिराग पासवान बिहार पर अधिक फोकस कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब वे बिहार के लोगों की सेवा करना चाहते हैं, उनके बीच रहना चाहते हैं। मतलब, अब वे केंद्र की राजनीति छोड़कर बिहार की राजनीति में उतरना चाहते हैं?
2024 में चुने गए 5 सांसद
चिराग पासवान की स्थिति 2024 में मजबूत हुई और लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 5 सीटें जीतीं। उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। बताया जा रहा है कि अब वे विधानसभा चुनाव में लगभग 45 सीटों की मांग कर रहे हैं। यह चिराग की ऐसी डिमांड है, जिसको पूरा करने में बीजेपी और जेडीयू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीट बंटवारे को लेकर अक्सर विवाद देखने को मिलता है, भले ही वह बाद में किसी तरह सुलझा लिया जाता हो।
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माना जा रहा है कि सीट बंटवारे में उनकी मांग को तवज्जो दी जाए, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। इसीलिए वे अभी से ही यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है, तो वे खुलकर बिहार चुनाव में उतर जाएंगे। यही वजह है कि चिराग पासवान बार-बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। वैसे भी बिहार की राजनीति में कब क्या बदल जाये, कौन-किसके साथ चला जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता।