बिहार की राजनीति में एक बार फिर ‘नियुक्ति राज’ की चर्चा जोरों पर है। एनडीए सरकार के गठन के बाद अब गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ‘लॉटरी’ लगनी शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने विभिन्न बोर्डों और आयोगों में अपने खास नेताओं और चुनाव में मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में पद देना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि बिहार में विधानसभा चुनाव होने में अब सिर्फ छह माह शेष रह गए हैं। ऐसे में एनडीए ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को बोर्ड आयोगों में शामिल कर उन्हें इनाम देना शुरू कर दिया है। हालांकि, इसकी मांग लंबे अरसे से की जा रही थी।
राज्य में सभी बोर्डों और आयोगों को मिला दें तो यह संख्या करीब दो दर्जन है। सरकार द्वारा संचालित कुल 25 बोर्ड आयोग पिछले 16 महीनों से खाली थे। एनडीए में इस बात को लेकर सभी घटक दलों की राय थी कि इन बोर्ड आयोगों में सभी दलों को प्राथमिकता मिले।
राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं को जगह मिलने वाले करीब डेढ़ दर्जन आयोगों का पूर्णगठन अभी बाकी है। अब तक गठित चार आयोगों में से भाजपा और जदयू के दो-दो नेता अध्यक्ष पद पा चुके हैं। शेष आयोगों में भी आधा-आधा फार्मूला लागू होने के आसार हैं। जबकि लोजपा (आर), हम और रालोमो नेताओं को भी सदस्य बनाया गया है।
कई बोर्डों के पदों पर हुईं नियुक्तियां
हाल के दिनों में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड, सवर्ण आयोग जैसे कई बोर्डों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य पदों पर नियुक्तियाँ की गई हैं। शुक्रवार को सरकार ने दो आयोगों का पूर्णगठन किया। इनमें सवर्ण आयोग एवं राज्य अनुसूचित जाति आयोग शामिल हैं। पूर्व विधान पार्षद और भाजपा नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह को उच्च जातियों के लिए बनाए गए आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि जेडीयू नेता राजीव रंजन को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है।
शैलेन्द्र बने अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष
इनके अलावा तीन सदस्य नॉमिनेट किए गए हैं। इसी तरह राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष शैलेन्द्र को बनाया गया है। जबकि सुरेंद्र उडाव को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इससे पहले अल्पसंख्यक आयोग का पूर्णगठन किया गया था जिसमें जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी को अध्यक्ष बनाया गया था। जबकि लखविंदर सिंह और मौलाना उमर नूरानी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा 6 सदस्य मनोनीत किए गए हैं।
इनमें से ज्यादातर पद एनडीए घटक दलों- बीजेपी, जदयू और हम (Hindustani Awam Morcha) के नेताओं को दिए गए हैं। हालांकि राज्य में एनडीए सरकार बनने के बाद सबसे पहले सभी घटक दलों के कार्यकर्ताओं को प्रखंड स्तरीय योजना समितियों (बीस सूत्री कार्यक्रम) में जगह मिली है। इकट्ठे सभी 534 प्रखंड समितियों में तकरीबन 8 हजार एनडीए कार्यकर्ताओं को जगह मिली है। अगस्त 2024 में जिला स्तरीय बीस सूत्री समिति घोषित की गई थी।
विपक्ष ने की तीखी प्रतिक्रिया
पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। एक बीजेपी नेता ने बताया कि हमने संगठन के लिए दिन-रात एक किया। अब पार्टी ने हमें पहचान दी है। इससे नए कार्यकर्ताओं को भी प्रेरणा मिलेगी। वहीं, विपक्ष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बोर्ड और आयोग जनहित के लिए होते हैं, न कि पार्टी कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत करने का मंच है। यह खुली राजनीतिक बंदरबांट है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह नियुक्तियां 2025 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही हैं। सरकार चाहती है कि कार्यकर्ता संतुष्ट रहें और संगठनात्मक ताकत मजबूत हो। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार के अनुसार, हर सरकार अपने वफादारों को सत्ता में हिस्सेदारी देती है। आने वाले हफ्तों में और भी कई नामों की घोषणा हो सकती है। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिस्ट तैयार की जा रही है। अब देखना होगा कि सत्ता की यह ‘लॉटरी’ किन-किन को सौगात देती है और किन्हें इंतजार करना पड़ता है।
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