बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर घमासान चल रहा है। विपक्षी दल वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन (SIR ) का विरोध कर रहे हैं। इस बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वकील ने अपनी याचिका में देश में नियमित अंतराल पर विशेष रूप से लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ‘मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण’ करने का निर्देश देने की मांग की है।
केवल देश के नागरिक ही दे सकेंगे वोट
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि इससे केवल देश के नागरिक ही वोट दे सकेंगे, देश में रह रहे अवैध विदेशी घुसपैठिए मतदान नहीं दे पाएंगे। वकील अश्विनी उपाध्याय ने अनुरोध किया है कि इस याचिका को 10 जुलाई को सुनवाई के लिए इससे संबंधिक अन्य याचिकाओं में जोड़ा जाए। इसके पीछे वकील ने तर्क दिया है कि 10 अप्रैल संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान उनकी याचिका को देखा जाए। क्योंकि सभी याचिकाओं में एक ही मामले का जिक्र किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉय बागची की प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता पहले अपनी याचिका में बताई गई दिक्कतों को ठीक करें, उसके बाद रजिस्ट्री इस पर निर्णय लेगी।
बिहार में वोटर लिस्ट पर चल रहा है बवाल
बता दें कि बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन (SIR ) को लेकर विपक्षी दलों ने हल्ला काटा हुआ है। इसके बाद भी पिछले करीब 2 सप्ताह से वोटर रिव्यू काम किया जा रहा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। विपक्ष ने कोर्ट से वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन रोकने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार करते हुए 10 जुलाई को सुनवाई की तारीख दी। इस बीच बिहार में 9 जुलाई को RJD ने बिहार में चक्का जाम करने का ऐलान किया हुआ है।
विपक्ष ने लगाया बड़ा आरोप
विपक्षी दलों का आरोप है कि ऐसा करने से हजारों लोग मतदान करने से वंचित रह जाएंगे। आरोप है कि सत्ता पक्ष जानबूझकर ऐसा करवा रहा है। इस प्रक्रिया से वोटबंदी कराने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी भी चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन चुनाव आयोग ने इस बार 1 जुलाई से वोटर लिस्ट की विशेष गहन समीक्षा शुरू कर दी है।