---विज्ञापन---

बिहार

Bihar News: बिहार में आर्म्स एक्ट के मामलों को लेकर बड़ा फैसला, सभी जिलों में गठित होंगी स्पेशल कोर्ट

Bihar News: बिहार में पिछले एक साल में अवैध हथियारों के साथ 5000 से भी अधिक अपराधी पकड़े जा चुके हैं। अब इन मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए बिहार के सभी जिलों में विशेष अदालतें गठित होंगी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Jun 20, 2025 08:40
Bihar News (1)
बिहार के डीजीपी विनय कुमार (X)

Bihar News: बिहार में पिछले कुछ दिनों से हत्या, अपहरण और गोलाबारी जैसे आपराधिक मामले काफी बढ़ गए हैं। इसको लेकर बिहार पुलिस भी एक्शन मोड में काम कर रही है। अब बिहार पुलिस के निशाने पर जगह-जगह हथियार लहराने वाले अपराधी आ गए हैं। पुलिस ने पिछले एक साल में राज्य भर में 5000 से भी अधिक अपराधी अवैध हथियारों के साथ पकड़े जा चुके हैं। लेकिन ये सभी मामले कोर्ट में अटके हुए है। इसलिए आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए जिलों में गठित विशेष अदालतें होंगी। इसक बात की जानकारी बिहार के डीजीपी ने दी है।

पुलिस के निशाने पर होंगे अपराधी

बिहार के डीजीपी ने बताया कि जगह-जगह हथियार लहराने वाले अपराधी अब बिहार पुलिस के निशाने पर होंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय ने घातक हथियार लेकर चलने वाले अपराधियों की नकेल कसने की तैयारी पूरी कर ली है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है।

---विज्ञापन---

आर्म्स एक्ट के 5000 हजार अधिक मामले दर्ज

बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बताया कि विगत एक साल में राज्य भर में आर्म्स एक्ट के 5000 हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अभाव में इन मामलों की सुनवाई में बेवजह विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और इसमें शामिल अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। बता दें कि वर्ष 2005 से 2011 के बीच आर्म्स एक्ट के मामलों का स्पीडी ट्रायल कराकर अपराधियों को एक सपाह के अंदर अदालत से सजा दिलाई जा रही थी। बिहार पुलिस के इस अभियान का असर यह हुआ कि लोग हथियार लेकर निकलने का साहस नहीं करते थे। लेकिन वर्ष 2011 के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट की समाप्ति के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई में विलंब होने से ऐसे मामले सुनवाई के अदालतों में लटकने लगे। पुलिस के लिए आर्म्स एक्ट के मामलों में अपराधियों को सजा दिलाने में खास समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता है। क्योंकि ऐसे अधिकतर मामलों में पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की गवाही ही अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त होती है।

क्या है आर्म्स एक्ट

आर्म्स एक्ट (1959) कानून अवैध हथियारों के निर्माण, बिक्री, कब्जे, परिवहन, आयात और निर्यात को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग सजाएं निर्धारित हैं। जिनमें कारावास और जुर्माना दोनों शामिल हैं। उदाहरण के लिए बिना लाइसेंस के हथियार रखने पर तीन से सात साल तक की कैद और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। जबकि प्रतिबंधित हथियारों का उपयोग करने पर आजीवन कारावास और जुर्माना भी हो सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आर्म्स एक्ट के तहत सजा की मात्रा अपराध की परिस्थितियों, जैसे हथियार का प्रकार, उपयोग, और क्षेत्र (जैसे अशांत क्षेत्र) पर निर्भर करती है।

---विज्ञापन---
First published on: Jun 20, 2025 08:40 AM

संबंधित खबरें