Gagan Khoda Cricketer: टीम इंडिया में अब तक राजस्थान में जन्मे कुछ ही खिलाड़ियों ने जगह बनाई है। इनमें हनुमंत सिंह, पार्थसारथी शर्मा, गगन खोड़ा, खलील अहमद और रवि बिश्नोई का नाम शामिल है। हालांकि राजस्थान के लिए खेलते हुए कई खिलाड़ियों ने टीम इंडिया का सफर तय किया है। जिसमें सलीम दुर्रानी, प्रवीण आमरे, पंकज सिंह, दीपक चाहर और राहुल चाहर का नाम शामिल है। खास बात यह है कि राजस्थान के कुछ खिलाड़ियों को तो बेहद कम मौके मिले हैं। उनका करियर बेहद छोटा रहा है। इन्हीं में से एक हैं गगन खोड़ा। आइए आज इस ‘बदकिस्मत’ बल्लेबाज की कहानी जानते हैं…
डोमेस्टिक क्रिकेट में धमाकेदार प्रदर्शन
गगन खोड़ा का जन्म बाड़मेर में 24 अक्टूबर 1974 को हुआ। अभी उनकी उम्र 49 साल है। दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज गगन खोड़ा डोमेस्टिक क्रिकेट में धमाकेदार प्रदर्शन करते नजर आते थे। जूनियर से लेकर सीनियर क्रिकेट तक में उन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाजी कर छाप छोड़ी। रणजी ट्रॉफी 1991-92 में उन्होंने डेब्यू किया। अगले कई सीजन तक वे शानदार प्रदर्शन करते रहे। रणजी ट्रॉफी 1994-95 में क्वार्टर फाइनल मुकाबले के वे हीरो रहे। खोड़ा ने इस मैच में डबल सेंचुरी ठोकी। उन्होंने 237 रन बनाकर अपनी पहचान बनाई। साल 2000 में वह सेंट्रल जोन और साउथ जोन के बीच खेले गए मुकाबले में हीरो रहे। जहां उन्होंने 300 रन की नाबाद पारी खेली। उन्होंने फर्स्ट क्लास के 132 मैचों की 225 इनिंग्स में उनके नाम 39.06 के औसत से 8516 रन रहे।
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ऐसा रहा लिस्ट ए करियर
गगन खोड़ा का लिस्ट ए करियर भी बेहद शानदार रहा। उन्होंने 119 मैचों में 40.06 के औसत से 4487 रन बनाए। जिसमें 166 रन की नाबाद पारी शामिल रही। फर्स्ट क्लास में उन्होंने 14 और लिस्ट ए में 9 विकेट भी लिए।
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जब टीम इंडिया के लिए किया डेब्यू
गगन खोड़ा डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन के बूते उन्हें ट्रायंगुलर सीरीज में डेब्यू का मौका मिला। गगन ने बांग्लादेश के खिलाफ मोहाली में 14 मई 1998 को डेब्यू किया। हालांकि सौरव गांगुली के साथ ओपनिंग करने उतरे गगन डेब्यू पर सिर्फ 26 रन ही बना सके। इसके बाद उन्होंने केन्या के खिलाफ 20 मई को खेले गए दूसरे मैच में शानदार वापसी की और 129 गेंदों में 8 चौकों की मदद से 89 रन ठोक डाले। हालांकि वे शतक से चूक गए, लेकिन उनकी इस दमदार पारी की काफी चर्चा रही। इसके बाद उन्हें उन्होंने मलेशिया में 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में मौका मिला, लेकिन उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा। इसके चलते उन्हें टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया। बाद में उन्हें कभी मौका नहीं मिला। उन्होंने 2013 में संन्यास का ऐलान कर दिया था।
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बाद में बने नेशनल सिलेक्टर
पूर्व सलामी बल्लेबाज को बीसीसीआई ने मध्य क्षेत्र के प्रतिनिधि के तौर पर सीनियर चयन समिति के सदस्य के तौर पर नियुक्ति किया था। हालांकि वे खुद इस फैसले से हैरान थे। तमाम अटकलों के बावजूद उन्होंने सिलेक्टर के तौर पर अपना कार्यकाल 2020 तक पूरा किया।
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